जनता ही जिम्मेदार है 🙋
जनता ही जिम्मेदार है ....!! ••••••••••••••••••••••••••••
आज जिस वाक्य से ये लेख शुरू करूंगी उसे पढ़ कर पहले ही नाराज़ मत होइएगा कि मोदी और उसकी सरकार की कोई गलती नहीं .....!! पहले भी सत्ताएं आईं और गई पर इस तरह ब्रेन वाश करने वाले लोग कहाँ थे ? ? आज की सत्ता के लोग इसलिए खास है क्योंकि जो आज तक किसी को समझ नहीं आया वो इन्होंने समझा , पकड़ा और उसके दम पर काबिज हो गए।
ये सब जनता की गलती है। असल में भारतीय पब्लिक है ही ऐसी । शिकायतें तो बहुत सी है कि ये सरकार समय पर काम नहीं करती, delay tactics अपनाती है , स्थिति की भयावहता तक कोई action नहीं लेती , यदि कोई राय देता है तो उसे तुरंत ना अपना कर बाद में अपनाती है। अपने मन से चलती है। वग़ैरह वगैरह पर इन सब के पीछे की वजह उनका शातिरपना नहीं बल्कि जनता की बेवकूफ़ी और किसी हद तक स्थिति को देर से समझने की नाकाबिलियत है।
ये सत्ता करेलों से मुहँ भरने के बाद एक बूंद शहद चटा कर संतुष्ट कर देती है और लोग एक पल की मिठास की वाहवाही करके पहले की सारी पीड़ा किनारे रख देते हैं। कहते है ना कि जब तक दुःख ना देखो सुख की महत्ता समझ नहीं आती ....बस यही नब्ज़ पकड़ी इस सरकार ने । पहले इस कदर दुःख तकलीफ और चिंता में उलझाती है कि व्यक्ति खुद को भी भूल जाता है। फ़िर जब वह लंबे समय तक सहन करते करते विद्रोह की सोचे तब अचानक उसके मुहँ में जीरा समान सुख रखकर स्वाद बदल दिया जाता है। पिघलती हुई आइसक्रीम की तरह फटाफट चाट कर उस क्षणिक सुख को आत्मसात कर लिया जाता है। ये भूल कर कि कुछ समय पहले प्यासे मर रहे थे।
दूसरी पार्टियां यही tactics नहीं समझ पायीं कि अगर ईमानदार सरकार बन कर सब कुछ पहले ही हाथ पर धर दोगे तो उसे taken for granted लिया जाता रहेगा। मतलब बिना भूख के किसी को पकवान भी खिलाओ तो वह बेमन से खायेगा पर यदि किसी को महीना भर भूखा रखकर सूखी रोटी भी दो व तो वह झपट कर खायेगा। हम हिंदुस्तानियों की बस यही औक़ात है। इस औक़ात के आंकलन के लिए इन गुजरातीयों को शाबाशी देनी होगी।
भक्त आख़िर क्यों भक्त बने हैं क्योंकि उन्हें सिर्फ़ वह मदद दिखती हैं। उसके पहले की परिस्थितियों को वह इसलिये नज़रंदाज़ करते हैं क्योंकि उनके पैदा होने में अन्य दूसरे भी बहुत से कारक प्रभावी होते हैं। पर मदद शुद्ध रूप से सरकारी होती है।
अब ये सोचिए कि क्या कोई दूसरी ऐसी पार्टी है जो इस tactics पर काम करके फिर से जनमानस की सोच अपने पक्ष में कर पायेगी ? ? ? ?
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