एक मार्मिक लेख 🙏
एक मार्मिक लेख : 🙏🙏
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थोड़ा शांत मन से पढ़िए और महसूस कीजियेगा
कि आखिर क्या फर्क होता है ???
लोगों के जीवित रहने में और एक दिन ना रहने में....
ये इतने सारे लोग जो चले गए हैं, क्या कभी इनको देखकर ऐसा लगा था ? कि ये यूं ही बस ऐसे ही चले जायेंगे....
अचानक बिना कुछ कहे , बिना बताए !!
उनमें से बहुतों से हमें कुछ लगाव होगा, कुछ शिकायतें भी हो सकती थी , हो सकता है कुछ नाराज़गी भी हो , जो कभी कही नहीं होगी हमने....
और शायद ये भी कहने का इंतेज़ार ही करते रहें होंगे कि उन सब इंसानो में कुछ बातें हमें बेहद पसंद थी।
फिर अचानक सुबह एक दिन खबर आती है....ये नहीं रहे , वो नहीं रहे !!
'नहीं रहे मतलब' ______कैसे नहीं रहे ??
कैसे एक पल में सब बदल सा गया....
वही सारे लोग जिनसे हम मिले थे , अभी कुछ समय पहले .....वे इतनी जल्दी गायब कैसे हो सकते है, कि अब दोबारा मिलेंगे ही नहीं । जैसे कोई बेजान सा खिलौना हो , जिसकी चलते चलते चाबी खत्म हो गयी हो ।
कुछ कहने को रह गया था उन सब को , कुछ बताने के साथ कुछ सुनना भी था उन सब को
बहुत सी बातें करनी थी फ़िज़ूल की ही सही पर वो भी कहाँ हो पाया !! उनके होने के अहसास ने समय गुजरने दिया।
वो सब चले गए.....सब यूँ ही रह गया
न हम सब तैयार थे
न वो सब तैयार थे
रुख़्सती के लिए
ऐसे ही एक दिन हमारी भी खबर आनी है, एक सुबह
कि वो फलाने नहीं रहे फ़िर लोग कहेंगे.....
अरे !! .........कह के एक मिनिट खामोश होंगे
फिर जीवन आगे बढ़ जाएगा ।
इसलिए आओ सब नाराज़गी, शिकायतों और तारीफों का हिसाब किनारे रखते हैं । जो आज हमारे साथ हैं उनके और अपने होने की खुशी मनाते हैं।
यकीं मानो , ज़िंदगी हल्की हो जाएगी, तो आखरी सांस पर मलाल का वज़न नहीं रहेगा ।
क्योंकि
बहुत ज़रा सा ही फर्क होता है
लोगों के जिंदा रहने में और एक दिन ना रहने में....🙏🙏
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