नव वर्ष का वादा 😊
नव वर्ष में ढेरों वादों के साथ एक नयी शुरुआत..... फिर दो चार दिन बाद सब कुछ वही पुराने जैसा। क्या कोई ऐसा भी प्रण है जो लंबे समय तक कायम रखा जा सके या फिर जिसे एक बार अपना कर छोड़ना मुश्किल हो। हम ये सारे वादे खुद से करते हैं फिर खुद ही उसे तोड़ते हुए खुद से शर्मिंदा होतें हैं। ये इस लिए होता है क्योंकि ये सारे संकल्प हम बिना किसी को साक्षी बनाये हुए करते है। एक छोटा सा उदाहारण देखें मैंने रोज सुबह घूमने का प्रण लिया अकेले जाना भी प्रारम्भ कर दिया। एक दिन आलस के कारण उठने की इच्छा नहीं हुई ,अगले दिन से यही होता गया। ऐसा इस लिए क्योंकि मैंने अपने इस संकल्प में किसी को भी शामिल नहीं किया। फिर इसका हल भी मैंने खुद ही निकाला। मैंने अपने साथ की कुछ महिलाओं के साथ घूमने जाने की शुरुआत की। अब रोज जाना मजबूरी बन गयी। क्योंकि ये लगने लगा की एक तो वह मेरा इन्तेजार करेंगे , दूसरा ये सोचेंगी की कितनी लापरवाह या आलसी महिला है। अपने बारे में प्रतिकूल सोच न पनपे इसलिए इस दिनचर्या को मैंने लागू रखा। जिसका फायदा भी मुझे ही मिला।
इस लिए किसी भी नियम या संकल्प को निरंतर रखने के लिए दो बातें आजमाएं पहला अपने प्रण में दूसरों को भी शामिल करें जिससे आप को उसे पूरा करने के लिए कुछ बाध्यता बनी रहे। और उस संकल्प को लगातार 21 दिनों तक जारी रखें। ये रिसर्च द्वारा माना गया है कि कोई भी नियम यदि लगातार इक्कीस दिनों तक कायम रखा जाए तो वह आदत बन जाता है। विश्वास बड़ी चीज है। अपने अंदर इस विश्वास को पनपने का मौका दे कि मैं इस संकल्प को पूरा करने सक्षम हूँ। फिर देखिये एक नए बदलाव के साथ एक नया साल आप को बहुत सी सौगातें दे जाएगा
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