एक सवाल औरत का ? ?
एक सवाल औरत का........ !
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मैं साहसी हूँ पर .....
ईश्वरीय प्रदत्त कमजोरियों से
लड़ने का दुःसाहस कहाँ से लाऊँ ?
मैं उत्साही हूँ पर....
पंख काट दिए जाने पर
उड़ने की हिम्मत कहाँ से लाऊं ?
मैं काबिल हूँ पर....
अपना जौहर दिखाने के लिए
ठोस जमीन कहाँ से लाऊं ?
मैं सक्षम हूँ पर....
सक्षमता के परिचय के लिए
अनुकूल माहौल कैसे बनाऊं ?
मैं धीर हूँ पर...
अपने धैर्य को किसी के
अहम् के तले कैसे कुचलवाऊँ ?
मैं अभीत हूँ पर....
अपनी शूरता जताने को स्वयं की
आत्मा पर वजन कैसे बढाऊँ ?
मैं सहज-सजीली हूँ पर....
अपनी रम्यता को तमाम
खोजती नज़रों से कैसे छुपाऊं ?
मैं विनम्र हूँ पर....
किसी की अप्रिय अशिष्टता पर
सभ्य होने की मोहर कैसे लगाऊँ ?
मैं सुशिष्ट हूँ पर....
असहनीय अभद्रता को
अपनी नम्रता से कैसे भुलाऊँ ?
मैं निर्भीक हूँ पर....
अकेलेपन में छुपे डर की
कातरता को कैसे छुपाऊँ ?
मैं निर्मल हूँ पर...
तमाम नजरों की मलिनता को
अपने तन से कैसे हटाऊँ ?
मैं सुसभ्य हूँ पर...
सभी के विचारों की शुद्धता
व सभ्यता को ऊँचा कैसे उठाऊँ ?
मैं बेबाक़ हूँ पर.....
दूसरों की अधम धृष्टता को
अक्खड़पन मान कर कैसे भुलाऊँ ?
मैं सिर्फ मैं हूँ ....
तो इस तरह जीने का
हौसला कहाँ से लाऊँ ?
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मैं साहसी हूँ पर .....
ईश्वरीय प्रदत्त कमजोरियों से
लड़ने का दुःसाहस कहाँ से लाऊँ ?
मैं उत्साही हूँ पर....
पंख काट दिए जाने पर
उड़ने की हिम्मत कहाँ से लाऊं ?
मैं काबिल हूँ पर....
अपना जौहर दिखाने के लिए
ठोस जमीन कहाँ से लाऊं ?
मैं सक्षम हूँ पर....
सक्षमता के परिचय के लिए
अनुकूल माहौल कैसे बनाऊं ?
मैं धीर हूँ पर...
अपने धैर्य को किसी के
अहम् के तले कैसे कुचलवाऊँ ?
मैं अभीत हूँ पर....
अपनी शूरता जताने को स्वयं की
आत्मा पर वजन कैसे बढाऊँ ?
मैं सहज-सजीली हूँ पर....
अपनी रम्यता को तमाम
खोजती नज़रों से कैसे छुपाऊं ?
मैं विनम्र हूँ पर....
किसी की अप्रिय अशिष्टता पर
सभ्य होने की मोहर कैसे लगाऊँ ?
मैं सुशिष्ट हूँ पर....
असहनीय अभद्रता को
अपनी नम्रता से कैसे भुलाऊँ ?
मैं निर्भीक हूँ पर....
अकेलेपन में छुपे डर की
कातरता को कैसे छुपाऊँ ?
मैं निर्मल हूँ पर...
तमाम नजरों की मलिनता को
अपने तन से कैसे हटाऊँ ?
मैं सुसभ्य हूँ पर...
सभी के विचारों की शुद्धता
व सभ्यता को ऊँचा कैसे उठाऊँ ?
मैं बेबाक़ हूँ पर.....
दूसरों की अधम धृष्टता को
अक्खड़पन मान कर कैसे भुलाऊँ ?
मैं सिर्फ मैं हूँ ....
तो इस तरह जीने का
हौसला कहाँ से लाऊँ ?
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