अब से ,
एक नया चलन चलाएं ,
     अपने मन को कुछ ऐसा बनायें।
     सुख दुःख में स्थिरता रखे ,
     विचलित ना हो पायें।
अब से,
एक नया चलन चलाएं ,
    अपने जीवन को कुछ ऐसा बनायें। 
    अधीरता को त्याग कर ,
    आत्मिक संतोष को अपनाएं।
अब से ,
एक नया चलन चलाएं ,
    अपने तन को कुछ ऐसा बनायें। 
   सोने सा तप कर निखरे ये ,
   जब भी कभी विपदा आये।
अब से ,
एक नया चलन चलाएं ,
   अपने यौवन को कुछ ऐसा बनाएं। 
   सार्थकता को लक्ष्य मान कर ,
   ऊर्जा की सकारात्मकता बढ़ाएं। 
अब से ,
एक नया चलन चलाएं ,
   अपने बंधन को कुछ ऐसा बनायें। 
   जो जुड़ के साँसों की तरह ,
   जीवन में अव्यश्म्भावी बन जाएँ। 
अब से ,
एक नया चलन चलाएं ,
   अपने स्वपन को कुछ ऐसा बनाएं। 
   सभी अपने शामिल हो जिसमें ,
   यादें उसका आधार बन जाएँ। 
अब से ,
एक नया चलन चलाएं ,
    अपने वचन को कुछ ऐसा बनायें। 
     अडिग रहे जो अपने कहे पर ,
     मुश्किलों में मुकर न जाएँ। 
चलो अब से एक नया चलन चलाएं। ........ 


   

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