दोस्त तुम जरूर आना.....!!

कभी अचानक यूँ ही ,
बस मिलने आ जाना। 
 वैसे जैसे तपती सी गर्मी में
 ठंडी हवा के झोंके सा। 
या पड़ोस की रसोई से आये,
बघार की खुशबू के छौंकें सा। 
गहरे काले बादलों की ,
मीठी सी गड़गड़ाहट सा। 
भीगे पर झटकते पक्षियों की ,
उड़ने की फरफराहट सा।   
गयी बिजली से बंद बल्ब के, 
फिर से चमक जाने सा। 
दरवाजा खोलते ही ठंडी हवा ,
घर में धमक जाने सा। 
समय माँग कर मत आना ,
अपने साथ समय लाना ,
खेलेंगे कूदेंगे फिर से बगीचे में,
गेंद में छूटा बचपन समेत लाना।  
दोस्त तुम जरूर आना ,
पर घण्टी मत बजाना। 
मुझे घर के नाम से पुकारना ,
पुरानी यादों को ताज़ा कर जाना। 




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