सुधार की दिशा के प्रयास...................!!
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ये जीवन है और हम सब इंसान। इस लिए ये कहें कि हमसे कभी कोई गलती न हो ये असंभव है। जानबूझ कर या अनजाने में कुछ न कुछ ऐसा जरूर हो जाता है। जो दूसरों के लिए तो अच्छा नहीं होता पर उसका नकारत्मक प्रभाव हम पर भी उतना ही पड़ता है। जैसे कोई गतल निर्णय , कोई गलत शब्द , कोई गलत राह , या फिर कोई गलत चुनाव। ये सब हम खुद ही करते हैं।
एक छोटे से उदाहरण से समझिये। मैं निम्बू पानी बनाने जाती हूँ। तभी मेरे पास किसी परिचित का फ़ोन आ जाता है और बात करते करते मैं यह काम करती रहती हूँ। अचानक मैंने ध्यान दिया कि एक गिलास निम्बू पानी बनाने के लिए मैंने तकरीबन छह से सात निम्बू काट कर निचोड़ लिए हैं। एक गिलास में इतने सारे निम्बू ??? पीने पर पता चला कि वह तो इतना ज्यादा खट्टा था कि मुहं का स्वाद ही ख़राब हो गया। यह मेरे द्वारा की गयी एक गलती थी। हालाँकि यह गलती जिसे मैंने अनजाने में ही किया पर इस के लिए मैं इस लिए दोषी थी कि मुझे यह काम करते हुए बात नहीं करनी चाहिए थी। खैर अब गलती तो हो गयी और उसका परिणाम भी मैंने ही भुगता। मुहं का स्वाद बिगाड़ कर। अब इस गलती को सुधारने का क्या यह तरीका सही था कि मैं वह निम्बू पानी फेंक देती ? या फिर मैं उसमें चार गिलास पानी और मिला कर उसे चार और लोगों के साथ बाँट कर पीने योग्य बना देती। अब इस सुधार से लोग भी खुश मैं भी खुश।
अब इस स्थति को जीवन से जोड़ कर देखिये। जब हम से जाने अनजाने कोई ऐसी गलती हो जाए जिसे फिर से पलट कर न ठीक किया जा सके तो हमें आगे के लिए कुछ ऐसा सोचना और करने चाहिए जिससे पिछली गलती के परिणाम बदल कर बेहतरी की और बढ़ने लगे। यह बात सम्बन्द्धों पर , कार्यों पर और विचारों पर एक सामान लागू होती है। स्थान , परिस्थति , लोग सभी के साथ परिवर्तनशील बन कर हम पिछली गलतियों का प्रभाव पलट सकते हैं। तो आज से ही यह सोचें की
यदि हमने खुद ये अहसास हो जाए कि कुछ सही नहीं हुआ तो आगे बेहतर बनाने की दिशा ढूंढी जाए। सब अच्छा हो जायेगा।
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ये जीवन है और हम सब इंसान। इस लिए ये कहें कि हमसे कभी कोई गलती न हो ये असंभव है। जानबूझ कर या अनजाने में कुछ न कुछ ऐसा जरूर हो जाता है। जो दूसरों के लिए तो अच्छा नहीं होता पर उसका नकारत्मक प्रभाव हम पर भी उतना ही पड़ता है। जैसे कोई गतल निर्णय , कोई गलत शब्द , कोई गलत राह , या फिर कोई गलत चुनाव। ये सब हम खुद ही करते हैं।
एक छोटे से उदाहरण से समझिये। मैं निम्बू पानी बनाने जाती हूँ। तभी मेरे पास किसी परिचित का फ़ोन आ जाता है और बात करते करते मैं यह काम करती रहती हूँ। अचानक मैंने ध्यान दिया कि एक गिलास निम्बू पानी बनाने के लिए मैंने तकरीबन छह से सात निम्बू काट कर निचोड़ लिए हैं। एक गिलास में इतने सारे निम्बू ??? पीने पर पता चला कि वह तो इतना ज्यादा खट्टा था कि मुहं का स्वाद ही ख़राब हो गया। यह मेरे द्वारा की गयी एक गलती थी। हालाँकि यह गलती जिसे मैंने अनजाने में ही किया पर इस के लिए मैं इस लिए दोषी थी कि मुझे यह काम करते हुए बात नहीं करनी चाहिए थी। खैर अब गलती तो हो गयी और उसका परिणाम भी मैंने ही भुगता। मुहं का स्वाद बिगाड़ कर। अब इस गलती को सुधारने का क्या यह तरीका सही था कि मैं वह निम्बू पानी फेंक देती ? या फिर मैं उसमें चार गिलास पानी और मिला कर उसे चार और लोगों के साथ बाँट कर पीने योग्य बना देती। अब इस सुधार से लोग भी खुश मैं भी खुश।
अब इस स्थति को जीवन से जोड़ कर देखिये। जब हम से जाने अनजाने कोई ऐसी गलती हो जाए जिसे फिर से पलट कर न ठीक किया जा सके तो हमें आगे के लिए कुछ ऐसा सोचना और करने चाहिए जिससे पिछली गलती के परिणाम बदल कर बेहतरी की और बढ़ने लगे। यह बात सम्बन्द्धों पर , कार्यों पर और विचारों पर एक सामान लागू होती है। स्थान , परिस्थति , लोग सभी के साथ परिवर्तनशील बन कर हम पिछली गलतियों का प्रभाव पलट सकते हैं। तो आज से ही यह सोचें की
यदि हमने खुद ये अहसास हो जाए कि कुछ सही नहीं हुआ तो आगे बेहतर बनाने की दिशा ढूंढी जाए। सब अच्छा हो जायेगा।
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