सम्बन्द्धों की माँग................!!
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मिलते जुलते रहो करो तुम सब से ,
यादें फिर से ताजा हो जाएँगी। 
जिंदगी जिन के दम से चल रही ,
वर्ना वो खुशियां बेमज़ा हो जाएँगी। 

सबकेे अपने दुःख और पीड़ाएँ है ,
दूरी रख के चलो वर्ना शिंकजा हो जाएँगी। 
ग़म को घुट घुट के पीना न सीखो ,
 वर्ना भीड़ में  ये रोज़ा  हो जाएँगी। 

साथ को मजबूरी तक नहीं बांधों , 
खुलो वर्ना करीबी सजा हो जाएगी। 
रिश्तों में कोई भी मांग मत रखों ,
वर्ना कोई जुस्तुजू तकाज़ा हो जाएगी।

हँसतें चेहरों के पीछे का दर्द समझों ,
तो पीड़ भी अपना कलेजा हो जाएगी। 
जरूरी नहीं की सभी गाथा ही गायें ,
दो शब्दों में दर्द भी अंदाज़ा हो जाएगी। 

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