सम्बन्द्धों की माँग................!!
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मिलते जुलते रहो करो तुम सब से ,
यादें फिर से ताजा हो जाएँगी।
जिंदगी जिन के दम से चल रही ,
वर्ना वो खुशियां बेमज़ा हो जाएँगी।
ग़म को घुट घुट के पीना न सीखो ,
वर्ना भीड़ में ये रोज़ा हो जाएँगी।
साथ को मजबूरी तक नहीं बांधों ,
खुलो वर्ना करीबी सजा हो जाएगी।
रिश्तों में कोई भी मांग मत रखों ,
वर्ना कोई जुस्तुजू तकाज़ा हो जाएगी।
हँसतें चेहरों के पीछे का दर्द समझों ,
तो पीड़ भी अपना कलेजा हो जाएगी।
जरूरी नहीं की सभी गाथा ही गायें ,
दो शब्दों में दर्द भी अंदाज़ा हो जाएगी।
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मिलते जुलते रहो करो तुम सब से ,
यादें फिर से ताजा हो जाएँगी।
जिंदगी जिन के दम से चल रही ,
वर्ना वो खुशियां बेमज़ा हो जाएँगी।
सबकेे अपने दुःख और पीड़ाएँ है ,
दूरी रख के चलो वर्ना शिंकजा हो जाएँगी। ग़म को घुट घुट के पीना न सीखो ,
वर्ना भीड़ में ये रोज़ा हो जाएँगी।
साथ को मजबूरी तक नहीं बांधों ,
खुलो वर्ना करीबी सजा हो जाएगी।
रिश्तों में कोई भी मांग मत रखों ,
वर्ना कोई जुस्तुजू तकाज़ा हो जाएगी।
हँसतें चेहरों के पीछे का दर्द समझों ,
तो पीड़ भी अपना कलेजा हो जाएगी।
जरूरी नहीं की सभी गाथा ही गायें ,
दो शब्दों में दर्द भी अंदाज़ा हो जाएगी।
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