मैडिटेशन

मेडिटेशन अर्थात ध्यान :           ••••••••••••••••••••••           

जिंदगी की जद्दोजहद में भागते दौड़ते उसे संभालते सहेजते दिमागी रूप से इतने थक जाते हैं कि हमें सुकून की तलाश होने लगती है। उसके लिए हम कहीं शांत जगह जाने का सोचते है। कोई सुरम्य वादी या प्रकृति के करीब .......पर क्या ऐसा सब कुछ कर लेने से मन शांत होता है । या फिर ये शांति सिर्फ एक दिखावे की तरह क्षणिक होती है। वहां भी तो कोई ना कोई आवाज़ दिमाग को सुनाई दे रही। दिमाग उसके बारे में सोच रहा। मेडिटेशन का सही अर्थ दिमाग को सोचने से मुक्ति दिलाना है। जब दिमाग सोचेगा नहीं तो वह अंतस की आवाज़ें सुनेगा। जैसे धड़कन की आवाज़ , साँसों की आवाज़ या फिर दिमाग की उतपन्न की कोई महीन सी आवाज़।                                                                                  दिमाग को शांत करना इस लिए भी जरूरी है क्योंकि सोचते सोचते वो इस कदर थक जाता है कि उसकी थकान उसे कुछ और अच्छा करने की हिम्मत नहीं देती। दिमाग के दोनों हिस्सों बाएं व दाएं दोनों की अलग अलग ऊर्जा होती है कार्य होता है। लेकिन जब दिमाग थकने लगता है तब दोनों भाग अपना अपना कार्य दूसरे हिस्से पर डालने लगते है। जिससे एक mess पैदा होता है जिसे हम confusion कहते है। इसलिए meditation के द्वारा हम दिमाग को कुछ देर विचारों से आवाज़ों से और बाहरी दुनिया से अलग करते हैं जिससे वो अंतस से जुड़ सके और फिर उसे आराम मिले जिससे वो नई ऊर्जा के साथ पुनः जिंदगी के मैदान में कूद सके।                                                            ये जरूरी है और कोशिश करके ये जरूर करना चाहिए। शरीर के हर हिस्से को सुकून और शांति चाहिए होती है दिमाग को भी और ये उसे देना हमारा काम है।

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