व्यवहार व्यक्ति का आईना

 व्यवहार व्यक्ति का आईना...!!   ~•~•~•~•~•~•~•~•~•~•~•~•~

कहतें है व्यवहार व्यक्ति का आईना होता है  ऐसे में क्या कभी किसी दूसरे की कोई प्रतिक्रिया या व्यवहार से उस व्यक्ति के मूल स्वभाव को समझने की कोशिश की है ? ?      क्योंंकि बहुत छोटे मोटे कार्यकलापों से किसी व्यक्ति की नियत सीरत और आदत का पता चल सकता है ....

आइए इसे कुछ उदाहरणों से समझते है लेकिन ये उदाहरण किसी व्यक्ति विशेष के साथ घटी हुई मेरी सत्य घटनाएं है ।

घटना : 1- एक बार मेरे घर मेरे एक प्रिय परिचित दो चार दिन के लिए आये । काफी पैसे वाले व्यक्ति थे कैश के बजाए कार्ड्स ही रखते थे। एक दिन शाम को हमने बाहर खाने का कार्यक्रम बनाया। अब ये तय किया जाने लगा कि खाने के लिए कहाँ चले ? ? उन परिचित ने पहले ही कह दिया था कि ये दावत मेरी तरफ से प्रायोजित है। बस सबसे बढियाँ जगह आप लोग चुनो क्योंकि शहर आपका है। हमने बहुत सोच विचार कर एक मध्यम बजट का बढियाँ रेस्टोरेंट चुना और खाना खाने गए। खाना बढियाँ और परिचित को लोकेशन भी बढियाँ लगी।                       👉 अब इस घटना की से मिली व्यवहार की सीख देखिए....मेरी एक परिचिता को पता चला कि हम इस तरह खाने पर गए तो उन्होंने तुरंत पूछा कि जब खाना उस व्यक्ति की तरफ से स्पॉन्सर था तो तुम सब ताज  होटल क्यों नहीं गयी ? ? कौन सा तुम्हें अपनी जेब से पैसा लगाने था। जब खर्चा उनका था तो तुम्हें किस बात की फिक्र थी................... .....!!                            🙋....जबकि इस आउटिंग में हमने ये सोचा कि हम किसी ऐसी ही जगह जाएंगे जहाँ का बिल हम भी भरने लायक हो। मान लीजिए किसी कारणवश उनका कार्ड नहीं काम करता या कोई तकनीकी समस्या आ जाती। तो बिना पैसा चुकाए तो होटेल से नहीं निकल सकते। इसलिए ऐसी जगह चला जाये जो हमारी आर्थिक स्थिति के अंदर हो।                                                                  👎 लेकिन इस घटना से उस महिला की अति छोटी सोच और लालची स्वभाव का पता चला । 

घटना : 2 - यदि आप कहीं शहर से बाहर घूमने जा रहे हो तो बहुत से परिचित ये अक्सर कहते हैं कि अमुक जगह की ये चीज़ प्रसिद्ध है । आप लेकर आना। अब सोचने वाली बात ये हैं कि घूमने जाते समय इंसान अपना बजट बना कर उतनी ही रकम सुनिश्चित करता है। एक तो यदि आपको अपने वास्ते कुछ खास मंगवाने की चाह है तो उसके अलग से पैसे दिए जाएं। कह देने भर से सामने वाले को बाध्य ना समझें।                                                                       👉 अब इस घटना की सीख समझिए । वह ये कि एक तो अपनी रुचिनुसार चीज़ लाने के लिए पूर्व भुगतान नहीं किया और जब वह परिवार अपने लिए पसन्द की कुछ चीज़ें लेकर आया तो उसे ज़बरदस्ती स्वयं को देने की ज़िद पकड़ लो कि ये तो मुझे अच्छा लग रहा मैं ले रहा हूँ। 

🙋जब इतने शौक से स्वयं के लिए वह चीज़ लाई गई हो तो किसी दूसरे को कैसे दी जा सकती है। हाँ यदि अपनी तरफ से अतिरिक्त पैसे दिए होते तो उनके लिए भी ले आया जाता.................!!                                  👎 इस घटना से उक्त के संबंद्धों को भुनाने की कला समझ आई जिसमें नाराज़गी का डर दिखा कर पूर्ति करवाने की जिद दिखी।

घटना : 3 - बच्चों की परीक्षाओं के बाद आये अच्छे रिजल्ट की सभी को खुशी होती है। लोग मिठाई खिलाने की मांग करते है कुछ दावतें भी मांगते है। एक परिचित दावत मांग बैठे। जैसा कि पहली घटना में जिक्र किया इस परिवार का स्वभाव भी ऐसा ही था कि दूसरे का धन तो मौज ठनाठन , बढियाँ होटल में पार्टी ले ली गई। लेकिन जब हमने उनके बच्चे के अच्छे नंबरों के लिए मिठाई ही खिलाने को कहा तो जवाब ये मिला कि आपकी बच्ची से तो हमारी बच्चे के नंबर कम है तो कैसा सेलिब्रेशन.......                   👉 अब इस घटना से मिलने वाली सीख समझिए वह ये कि पहले तो मुफ़्तख़ोरी की आदतें खून में होती है। और दूसरी बात अपना बच्चे को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता थी ना कि ये कह कर की उसके नंबर कम है उसे छोटा बताने की।                 👎..... इस घटना से उस परिवार की छोटी सोच का पता चला जो फायदा उठाने के लिए अपने बच्चे के मनोबल भी तोड़ने से नहीं चूकती ।

ये मेरा व्यक्तिगत अनुभव है हो सकता है कि इनमें से कोई आप सब के साथ भी घटा हो पर इन घटनाओं से ही व्यक्ति की संकुचित सोच  , लालच और फायदें की मंशा स्पष्ट हो जाती है। और ये मान कर चलिए की ऐसे सम्बन्द्ध  जिनमें लालच आ जाये वह चिर स्थायी नहीं रहते।

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