कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान
कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान - अभिभावक होने के नाते ......!!••••••••••••••••••••••••••••••
हम सभी अभिभावक होने के नाते अपने बच्चों को अपने अनुसार बनाना चाहते हैं। जैसा हमारी सोच , संस्कार और पारिवारिक माहौल कहता है। जबकि कोई भी बच्चा अपना दुनिया के तमाम जन्में लोगों की तरह अपना भाग्य लिखा कर लाता है। और वही करता या बनता है जो उसकी क़िस्मत में लिखा होता है। अब उसे अपनी तरह बनाने के लिए हम बहुत से तरीके अपनाते हैं । हम अभिभावक होने का दम्भ भरते हुए उन्हें अपने नियंत्रण में रखने की कोशिशें करते है। जिससे बच्चे और अभिभावकों के बीच दूरी बढ़ जाती है। अतः जिन महत्वपूर्ण बिंदुओं को avoid करना है वह निम्न हैं.....
1 : Criticism
2 : Conflicts
3 : Comparison
4 : Competitiveness
5 : Counter
अब इन सभी बिंदुओं को विस्तार से समझना जरूरी है। क्योंकि इन्हें अच्छी तरह समझने पर हम atleast उन स्थितियों को avoid कर सकते हैं जिसमें ये points उठने की गुंजाइश हो।
1 - Criticism : बच्चा जो भी कर रहा हो उसे criticize ना करें। उसकी अपनी समझ और कुछ उसकी किस्मत तय कर रही है जो भी वो कर रहा। ऐसे में उसमें सुधार की गुंजाइश रखें पर criticize करने से वह विरोधी बन जायेगा।
2 - Conflicts : मतभिन्नता में बहस कर के उसे विरोधी ना बनने दिया जाए। जब बच्चे बढ़ते है तो उनकी सोच भी उनके साथ बढ़ती है। और वह सोच उन्हें खुद से बहुत कुछ करने को उकसाती है। ऐसे में उन्हें monitor करना तो जरूरी है। पर उस बात को लेकर बहस बढ़ाना अनुचित है।
3 - Comparison : बच्चे का खुद से या किसी और से तुलना गलत है। उसके खुद के कर्म और भाग्य के हिसाब से ही वह आगे बढ़ेगा। हाँ अभिभावकों का ये दायित्व है कि उस में बच्चे का सहयोग किया जाए और बिना किसी से उसकी बराबरी किये उसे एक व्यक्तिगत व्यक्तित्व की नज़र से देखा जाए।
4 - Competitiveness : बच्चे के मन में हर दूसरे से आगे निकलने की होड़ नहीं बिठानी चाहिए। क्योंकि दिमाग , शरीर और परिस्थिति के हिसाब से हर कोई अलग होता है। ऐसे में बच्चा किसी दूसरे को copy करके कैसे आगे बढ़ सकता है।
5 - Counter : जब बच्चा कुछ सोच रहा है कह रहा है तब उसे प्रतुत्तर देकर उसे बाधित ना किया जाए। हो सकता है कि उसकी सोच अभिभावकों से अलग हो । बाद में स्थिति समझ कर उसका सही तोड़ या जवाब सोच कर उससे बात की जाए।
ये कुछ महत्वपूर्ण बिंदु है जिनका ध्यान हमें अपने व्यवहार में रखना है।यकीन मानिए ये करने से बच्चा बिगडेगा नहीं बल्कि और हमारा हो जाएगा। क्योंकि हम अपनी कर रहे हैं पर थोड़े से बदलाव और नाजुकता के साथ जो बच्चा accept कर पाता है।
★◆★◆★◆★◆★◆★◆★◆ ★◆★◆
Comments
Post a Comment