बोर होना भी जरूरी है

बोर होना भी जरूरी है :  •••••••••••••••••••••• 

जब से हमारे हाथों में मोबाइल आया है तब से जरा सा भी ऊब महसूस होए तो फट से हाथ में मोबाइल उठा लेते हैं। सड़क पर अकेले टहल रहे हों , किसी का इंतज़ार कर रहे हों, दो कार्यों के बीच थोड़ा खाली समय हो तो हमें सबसे सुलभ साधन मोबाइल लगता है खुद को engaged रखने के लिए। ये engagementहो सकता है कि उस वक्त रुचिकर लग रहा हो पर इसके long lasting effects बुरे हैं। इसे थोड़ा विस्तार से समझने के लिए कुछ points समझते हैं...

1.मस्तिष्क को भी कुछ समय शांति और सुकून चाहिए होता है। ठंडा होकर थोड़ा इधर उधर का सोचना बन्द करें।मोबाइल में उलझे रहेंगे तो कुछ ना कुछ देखेंगे और नया सोचेंगे।

2.  जब इंसान बोर होगा तो अपने अंदर की कोई रचनात्मकता को बाहर लाएगा। पेंटिंग, creativity , music या अन्य कुछ। जब मोबाईल में उलझे रहेंगे तो रचनात्मक होने का समय कैसे मिलेगा

3. लगातार मिल रही तमाम सूचनाओं से दिमाग थकने लगता है। उसमें भ्रम की स्थिति पैदा होती है। जैसे कोई रील ये बताए कि फलानी चीज़ मत खाइए और दूसरी रील ये बताए कि इसे जरूर खाना चाहिए। तो दिमाग में भ्रम की स्थिति पैदा होती है। 

4.व्यक्ति ख़ुद के बारे में भी अच्छी तरह सोच नहीं पाता। खुद को बेहतर बनाने के तरीके दूसरों के नज़रिए से नहीं आंकें जा सकते हैं

◆ इसलिए उबीए क्योंकि ये स्वस्थ जिंदगी के लिए एक जरूरी जरूरत है। ऊब से होने वाले फायदे देखिए...

1. ऊबना मानसिक स्वास्थ्य के लिए उत्तम है क्योंकि ऊब में दिमाग खुद को रीचार्ज करता है।

2. ऊब मस्तिष्क को तरोताजा करती है।नए विचारों को विकसित होने का समय और जगह मिलती है।

3.स्वहित के दृष्टिकोण develop होते है।

4.ऊब से इंसान धैर्य रखना सीखता है।कठिन परिस्थितियों में सब्र कैसे रख कर वो समय काटें ये सीखने को मिलता है।

5.बोरियत आत्म चिन्तन का समय देती है।जिससे अपनी भावनाओं और उद्देश्यों को समझने का बेहतर मौका मिलता है। 

6.मानसिक स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए ऊब जरूरी है। ऊबने की स्थिति में दिमाग शांत और सुकून में रहता है। 

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