नियमों का प्रबंधन !

जरूरी है कुछ ऐसे नए नियमों को अस्तित्व में लाने का जिन के सहारे एक स्त्री की अस्मत और इज्जत की रक्षा की जा सके। ऐसा ही एक नियम सरकार ने बनाया है जिस की चर्चा मैं आप से करती हूँ साथ ही उसके loopholes भी बताउंगी जो इसको कार्यान्वित करने में बाधा उत्पन्न कर सकेंगे। नियम कि अब राह चलते स्त्री को छेड़ने , परेशान करने या अस्मत लूटने वाला ही दोषी नहीं होगा बल्कि वह भी गुनहगार माना  जाएगा जो ये सब देखते हुए भी रक्षा और प्रतिरोध के लिए आगे नहीं आया। उस के खिलाफ भी मुकदमा चलाया जाएगा। ये एक अच्छा कदम है जिस से लोग डर कर आवाज उठाने का प्रयास करेंगे। वैसे भी कभी स्त्री के ऊपर अत्याचार होता है तो सभी ये कह कर किनारा कर लेते हैं कि हम क्यों किसी दूसरे के मामले में हाथ डालें। सभी खुद को उस उलझन से दूर रखने का प्रयास करते हैं। एक अच्छा और सराहनीय कदम ……  
                            अब इस का दूसरा पक्ष देखिये वह ये कि यदि किसी को इस समस्या से बचना है तो वह एक सामान्य सा जवाब अपने लिए तैयार  रखेगा कि मैं तो वहां था ही नहीं। क्योंकि भीड़ वाले स्थान पर किसी के होने का सबूत जुटाना मुश्किल है। समस्याएं कई है पर उनके निवारण के लिए कोई ऐसा कारगर तरीका खोजना पड़ेगा जिस से औरत को बल और पुरुष को भय मिल सके।  इस के लिए सब से पहले अपनी कानून व्यवस्था को सुधारना पड़ेगा जिस के चलते कोई भी मुजरिम आसानी से झूठे सच्चे गवाह पेश कर के बच जाता है।  प्रक्रिया इतनी लम्बी है कि बरसों तक अपने पक्ष का सही फैसला आने का इन्तेजार करना पड़ता है। फिर भी ऐसी छोटे छोटे क़दमों से ही एक लम्बा रास्ता नापा जा सकता है। किसी भी नियम को लागू करने से पहले उसके नकारात्मक पहलुओं को ध्यान में रख कर उन मुद्दों को शामिल किया जाना चाहिए जिससे उसे तोड़ने या खंडित करने के तरीके ख़त्म हो जाएँ। अब बहुत जरूरी है कि बच्चों को घर से ही स्त्री के प्रति इज्जत करने की सीख दी जाए और हो सके तो उनके इंटनेट प्रयोग पर भी चौकस निगाह रखी जाए जिस से वह कोई गलत साइट न खोल सके न देख सके। परिवार के लोग ही सब से पहले अपने घर से इस प्रथा को आगे बढ़ा कर समाज में बदलाव  ला सकते हैं। 

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