सही तीर को गलत निशाने पर मोड़ा जाना ....!!


सही तीर को गलत निशाने पर मोड़ा जाना !  
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आज कल एक ज्वलंत मुद्दा चर्चा में बना हुआ है। वह है आमिर द्वारा दिया गया असहिषुणता का बयान। सभी इस बयान के खिलाफ हैं  एक सुर में उसका विरोध करते हुए देश छोड़ देने के लिए कह रहें है।  यदि आप ने वह विडिओ नहीं देखा है तो मुझे लगता है कि पहले उस विडिओ का पूरा सार समझना चाहिए तब उसके कहने का सही अर्थ सामने आएगा। हालांकि उन्होंने ये कहा की मेरी पत्नी किरण इस देश की स्थिति देख कर देश छोड़ने की बात कहती है। पर इस बयां के पीछे की जो सच्चाई उन्होंने कही उसे इस मीडिया ने न तो देखा न ही उसका कोई महत्व दिया। अब उनके बयां का सार देखें........ आमिर ने कहा कि किसी भी देश  में रहने के लिए सबसे पहले देशवासियों की प्राथमिकता होती है  sense of security . और ये सुरक्षा की भावना उन्हें दो चीजों से मिलती हैं।  पहली देश की कानून व्यवस्था जो इतनी fast और active हो कि व्यक्ति को ये आभास रहे की यदि हमारे साथ कुछ गलत होगा तो अपराधी को तुरंत सजा मिलेगी। दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु , वह लोग जिन्हे हमे चुनावों  के जरिये चुन कर  एक महत्वपूर्ण पद पर बिठाते है कि वह हमारी आवाज़ बन सकें और हमें न्याय दिलाने में मदद कर सके। उनका समर्थन और सहयोग हमारी ताकत बने । वह न्याय व्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद करें जिस से समय रहते सबूतों के आधार पर अपराधी की पड़ताल हो सके और उसे सजा मिल सके। जब ये सब हमें आस पास दिखता है तो हमें सुरक्षा का अहसास बनता है जब ये नहीं होता तब हम खुद को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि ये कोई जरूरी नहीं की कौन सी पार्टी सत्ता में है मुद्दा ये है कि उस के निर्वाचित सदस्य लोगों को ये अहसास दिलाने में कामयाब हुए या नहीं की आप हमारे साथ सुरक्षित महसूस कर सकते हैं। आप के लिए हम अपनी भरसक कोशिशो को अंजाम देने से पीछे नहीं हटेंगे। 
           जब भी कभी इस तरह के हादसे हमारे देश में हुए या तो वह 84 के दंगे हो या होटल ताज का आतंक हमेशा से जनता की ये मांग रही है की ऐसे  में ये प्रतिनिधि हमारा हौसला बढ़ने के लिए आगे आएं और जाति  से ऊपर उठ कर उस अपराधी को सिर्फ आतंकवादी के नाम से सम्बोधित करें जिस से हर जाति का जो भी बंदा देश में रह रहा है खुद को जातिगत समझ दोषी ना माने और सुरक्षित महसूस करें। ये कोई अतिश्योक्ति नहीं कि इस तरह की व्यवस्था देख कर कोई भी या एक सामान्य इंसान डरे कि अपराध होने के बाद न्याय मिलने में सालों लग जाते है।  नेता अपने सम्बंधित बिल्स तो सदन में सर्वसमत्ति से घंटों में पास करा देते है जबकि यही अगर कोई सार्वजनिक मुद्दा हो तो उस पर लड़ झगड़  कर सदन ही ठप्प कर देते है।  पुलिस व्यवस्था के हालत भी देखिये कि आज जिस के पास पैसा वह झूठे सबूतों के आधार पर बाहर और गरीब भोगने के लिए अंदर बैठा है। सरकारी महकमों में कोई भी जरूरी कागज भेजने या निकलने के लिए भी समय और धन दोनों ही गवाना पड़ता है। 
                            कई लोगो ने आमिर को देश छोड़ने के बजाये इसे बदलने की सलाह दी कि आप प्रयास करें कि ये बदले।  पर कोई ये बताये की ये एक के सोचने से बदल जाएगा या फिर हर उस हिन्दुस्तानी को सोचना पड़ेगा जो भारत में सुखी बन कर रहना चाहता है। सब से पहले इन नेताओं को बदलना पडेगा जो कुर्सी आने के बाद अपनी आने वाली 7 पुश्तों के लिए अर्जन में लग जाते हैं। सदन में अगर कई पार्टियां मौजूद है तो सभी को एक साथ खड़े होकर जनता से जुड़े उन तमाम मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए उनका निपटारा करना पड़ेगा। उसे पार्टीगत राजनीती के हवाले कर के उसका खून कर देना उचित नहीं है। ये सभी कुछ कहा आमिर ने जिसे कि तिल का ताड़ बना दिया गया। ये सब कुछ अपनी रोटियां सेकने के लिए मीडिया और भ्रष्ट नेताओं द्वारा खेला गया खेल है जिस में आमिर फंस चुके हैं। खैर मुझे जो सही लगा मैंने लिख दिया आप की सोच और आप की राय आप जाने । ........... 

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