The feeling of sharing.............!
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अपने लिए और अपनी चीजों के प्रति संवेदनशील होना मानव स्वाभाव का एक अहम हिस्सा है। कोई भी कभी भी स्वयं से ऊपर किसी को भी नहीं रखता और देखता। उसके सारे प्रयास खुद को ऊपर उठाने और स्वयं की प्रगति के लिए होते हैं। लेकिन ये अहसास करना जरूरी है की एक समय में आ कर यही प्रयास स्वार्थ में बदल जाते हैं। जरूरत से ज्यादा अपने लिए सोचने में हम अक्सर दूसरों का अहित कर बैठते हैं। जिस से उनका नाराज होना स्वाभाविक हो जाता है और सम्बन्ध ख़त्म हो जाते हैं। ये एक सामान्य मानव सोच है जो अक्सर हमारे जीवन का हिस्सा बन जाती है और हम इसे समझ नहीं पाते कि हमने क्या गलती की और कहाँ हमसे चूक हुई।
इस को अपने जीवन से दूर करने के लिए एक बहुत ही सामान्य सी प्रक्रिया की आवश्यकता है जिसे हम आसानी से अपने जीवन में कार्यान्वित कर सकते है बस थोड़ा सा दिल बड़ा रखने की आवश्यकता है। आप अनुभव करें कि जब हमारा बच्चा छोटा होता है तो हम उसके छोटे मोटे लड़ाई झगड़ों में उसे sharing की भावना पर जोर देने के लिए उकसाते है। ये सीखाते है कि अपना टिफ़िन बाँट कर खाओ , अपने खिलोने बाँट कर खेलो , अपने कपडे भाई बहनों से बाँट कर पहनो आदि आदि। पर यही बाँटने की परंपरा हम बड़े हो कर भूल जाते हैं तब हमे सिर्फ अपना,अपना और अपना याद रह जाता है। यदि हम अपनी चीजों को साझा करने की आदत विकसित कर ले तो इस के दो फायदे होंगे पहला ये की दो लोगो के बीच संबंधों में मिठास बनी रहेगी , दूसरा ये की हमारा उस चीज के प्रति मोह कम होगा। लोभ या मोह बंधन के सामान होता है जिस की जकड़न से आप अपने इर्द गिर्द एक घेरा सा बना लेते हैं जिस में आप , आपकी चीजे और आप की दुनिया केंद्रित हो जाती है। इस लिए अपना दायरा बढ़ा कर अपनी दुनिया के दरवाजे खोलिए उसमे दूसरों को प्रवेश करने दीजिये जो आप के, आप की चीजों के करीब आ सकें।ऐसा जरूरी नहीं की हर चीज हर व्यक्ति के पास हो ऐसे में यदि हम sharing को अपनाएंगे तो इस का एक फायदा और होगा की जो वस्तु हमारे पास नहीं है उसका भी हम प्रयोग कर सकते है।
लेकिन जो सब से बड़ा फायदा नजर आता है वह है अपनी वस्तु के पीछे possessive होने की भावना का त्याग। यही possessiveness हमें हमारे विचारों को इस कदर बंदी बना लेती है कि हम उस वस्तु को अपने सभी रिश्तों नातों और सामाजिक जीवन के आगे रखने लगते हैं। इस का समाधान है वही है अपनी सभी चीजों की sharing जिस से हमें दूसरों के प्रेम के साथ आत्मिक संतोष की भी प्राप्ति होगी। इस लिए बांटने की आदत डालें जो आप को , आप के विचारों को और आप के रिश्तों को एक नया जीवन प्रदान करेगी।
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