हौसले और व्यवस्थापन की जीत.......!
******************************************
हम सभी जीवन जी रहे हैं। इस जीवन से जुडी तमाम लड़ाइयां भी लड़ रहें है। पर न जाने क्यों एक अहसास जो मैंने किया है वह आप को होता है या नहीं ये आप से चर्चा करने के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा। कि उन तमाम लड़ाइयों के कारण क्या हमारा जीने का हौसला तो नहीं टूट रहा ? ऐसा मेरे साथ हो रहा है और मैंने ये महसूस भी किया कि कभी कभी कोई छोटी सी समस्या भी पहाड़ जैसी लग कर आगे का रास्ता बाधित करने लगती है जबकि सिर्फ देखने के नजरिये का फ़र्क़ है। वह तो रोज की दिनचर्या की एक पायदान है। जिसे लांघ कर हमें अगले पायदान पर कदम रखना है। जिस तरह सीढ़ियां चढ़ते समय हमें हर बार अपने कदम उठा कर आगे बढ़ना पड़ता है जिसमे ऊर्जा और हिम्मत दोनों लगती है। उसी तरह दिन के अनगिनत कामों को एक एक कर के समझते और करते हुए आगे बढ़ा जाता है। समस्या तब आती है जब हम पिछले कामों से बरी न हुए हों और नया कार्य अपनी प्रतीक्षा में खड़ा हो। क्योंकि समय तो आप के पास निर्धारित ही होता है उसी में हर उस कार्य की पूर्ति आवश्यक है जिस का समय नियत हो। मैंने ये महसूस किया है कि हम जब भी कभी दो चार कार्यों में एक साथ उलझ जाते है तभी हमें इस टूटन का अहसास होने लगता है। कोई कोई कार्य ऐसे होते है जो समय और परिश्रम ज्यादा मांगते है। जिसमें किसी अन्य के साथ की भी आवश्यकता पड़ सकती है।ऐसे में जरूरी ये है कि हम खुद पर भरोसा रख कर आगे बढ़ते रहें।
ऐसे में दो तीन बातें मन में रखनी आवश्यक
है। पहली तो ये कि हम ही एक ऐसे है जो अपने सब से ज्यादा हितैषी है। हम खुद के लिए जो भी करेंगे वह शुद्ध नियत और ईमानदारी से करेंगे। दुसरा ये कि समय गुजरने के बाद उस कार्य की कितनी उपयोगिता रहेगी ये हमें सोच कर उसको पूर्ण करने की गति निर्धारित करनी होगी। तीसरी और सब से महत्वपूर्ण , हमारा ही हौसला उस कार्य को सुनियोजित ढंग से निपटा सकता है। आप चाहे कितने ही लोगो का साथ ले लो आप के हौसले के बिना सब महत्वहीन है। इस लिए सबसे बेहतर ये है कि हम अपने कार्यों की प्राथमिकताएं तय करते हुए उन्हें पूरा करने का हौसला बनाये रखें। जीवन की हर लड़ाई में अड़चनें किसी भी रूप में आ सकती है समय , परिस्थिति , कोई व्यक्ति ,धन , या फिर अकेलापन ये ऐसे मुद्दे है जो हमारी जीने की लड़ाई को कमजोर करते है। पर इनसे उबरने का जो सब से कारगर तरीका है वह है खुद को मजबूत बना कर स्वयं पर विश्वास और समय को समझ कर उसका उचित व्यवस्थापन।
******************************************
हम सभी जीवन जी रहे हैं। इस जीवन से जुडी तमाम लड़ाइयां भी लड़ रहें है। पर न जाने क्यों एक अहसास जो मैंने किया है वह आप को होता है या नहीं ये आप से चर्चा करने के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा। कि उन तमाम लड़ाइयों के कारण क्या हमारा जीने का हौसला तो नहीं टूट रहा ? ऐसा मेरे साथ हो रहा है और मैंने ये महसूस भी किया कि कभी कभी कोई छोटी सी समस्या भी पहाड़ जैसी लग कर आगे का रास्ता बाधित करने लगती है जबकि सिर्फ देखने के नजरिये का फ़र्क़ है। वह तो रोज की दिनचर्या की एक पायदान है। जिसे लांघ कर हमें अगले पायदान पर कदम रखना है। जिस तरह सीढ़ियां चढ़ते समय हमें हर बार अपने कदम उठा कर आगे बढ़ना पड़ता है जिसमे ऊर्जा और हिम्मत दोनों लगती है। उसी तरह दिन के अनगिनत कामों को एक एक कर के समझते और करते हुए आगे बढ़ा जाता है। समस्या तब आती है जब हम पिछले कामों से बरी न हुए हों और नया कार्य अपनी प्रतीक्षा में खड़ा हो। क्योंकि समय तो आप के पास निर्धारित ही होता है उसी में हर उस कार्य की पूर्ति आवश्यक है जिस का समय नियत हो। मैंने ये महसूस किया है कि हम जब भी कभी दो चार कार्यों में एक साथ उलझ जाते है तभी हमें इस टूटन का अहसास होने लगता है। कोई कोई कार्य ऐसे होते है जो समय और परिश्रम ज्यादा मांगते है। जिसमें किसी अन्य के साथ की भी आवश्यकता पड़ सकती है।ऐसे में जरूरी ये है कि हम खुद पर भरोसा रख कर आगे बढ़ते रहें।
ऐसे में दो तीन बातें मन में रखनी आवश्यक
है। पहली तो ये कि हम ही एक ऐसे है जो अपने सब से ज्यादा हितैषी है। हम खुद के लिए जो भी करेंगे वह शुद्ध नियत और ईमानदारी से करेंगे। दुसरा ये कि समय गुजरने के बाद उस कार्य की कितनी उपयोगिता रहेगी ये हमें सोच कर उसको पूर्ण करने की गति निर्धारित करनी होगी। तीसरी और सब से महत्वपूर्ण , हमारा ही हौसला उस कार्य को सुनियोजित ढंग से निपटा सकता है। आप चाहे कितने ही लोगो का साथ ले लो आप के हौसले के बिना सब महत्वहीन है। इस लिए सबसे बेहतर ये है कि हम अपने कार्यों की प्राथमिकताएं तय करते हुए उन्हें पूरा करने का हौसला बनाये रखें। जीवन की हर लड़ाई में अड़चनें किसी भी रूप में आ सकती है समय , परिस्थिति , कोई व्यक्ति ,धन , या फिर अकेलापन ये ऐसे मुद्दे है जो हमारी जीने की लड़ाई को कमजोर करते है। पर इनसे उबरने का जो सब से कारगर तरीका है वह है खुद को मजबूत बना कर स्वयं पर विश्वास और समय को समझ कर उसका उचित व्यवस्थापन।
Comments
Post a Comment