असमंजस और अति परिश्रम का सच ……!
आज कल छात्रों के लिए असमंजस का दौर चल रहा है। हर छात्र परेशान है अपने दाखिले को ले कर। मेरे घर में भी कुछ ऐसा ही तनाव बना हुआ है। मेरी बेटी के कॉलेज में दाखिले को ले कर न जाने क्या क्या प्रयास किये जा रहें है। जब तक ये सब कुछ निपट नहीं जाता तब तक यही माहौल बना रहेगा। सब अभिवावक यही चाहते है कि अच्छे से अच्छे कॉलेज में उनके बच्चे का दाखिला हो और उस दाखिले की बदौलत वो जीवन में नई ऊंचाइयां छू पाये। पर इस उद्देश्य में जो सब से बड़ी बाधा है वह है परसेंट की मारा मारी। आज दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्थिति ये हो गयी है कि कई विषयों की कटऑफ 100.75 % चली गयी। अब आप ये बताएं कि 100 नंबर के पेपर में कोई बच्चा 100.75% नंबर कैसे ला सकता है। एक हमारा समय था जब 60 % पर प्रथम श्रेणी आने पर माता पिता बहुत खुश हो जाया करते थे। उनके लिए के बच्चे का नाम अख़बार की प्रथम श्रेणी वाली लिस्ट में आ जाना ही एक बड़ी उपलब्धि हुआ करता था। आज स्थिति ये है कि मेरी बेटी ने 95 % से 12 वीं की परीक्षा उत्रीर्ण की है फिर भी उसे दाखिले के लिए कटऑफ की राह ताकनी पड़ रही है। ये सब ही बच्चे को तनाव की ओर धकेल देता है। अब आप खुद ही सोचें कि बच्चे के परिश्रम का स्तर किस कदर बढ़ चूका है कि हर बार उसका level ऊँचा हो जाता है। आखिर इस की क्या सीमा होगी और ये किस स्तर पर जा कर रुकेगा ?
अब हर छात्र बेहतर प्रदर्शन के लिए जी जान एक कर देता है फिर भी कई बार उसे मनचाहा परिणाम नहीं मिलता। ये ही उनके frustration का कारण बनता है। इसी तनाव की वजह से वो कोई गलत कदम भी उठा लेते हैं। दिन पर दिन नई नई विधाओं और कोर्सेस के आने की वजह से सीखने का दायरा भी बढ़ता ही जा रहा है। क्या क्या और कब तक सब कुछ बच्चा सीखता रहे। साक्षात्कार में ये पूछना जारी है कि आप ने कौन कौन सी उपलब्धि हांसिल की है। इस का सिलसिलेवार ब्यौरा देना आवश्यक है। ये भी संभव है कि जितना आप के बच्चे ने सीखा है उससे कुछ विभिन्न और ज्यादा सीखें हुए बच्चे को ये मौका दे दिया जाए। ये विभिन्नता भी एक महत्वपूर्ण कारण है बच्चे के भ्रमित होने का। आखिर कौन सा चुनूं और इस के लिए लगाया गया समय बाद में किस तरह फलेगा ? ये प्रश्न आज हर बच्चे के सामने खड़ा है। फिर भी मैं दाद देना चाहूंगी आज की पीढ़ी की , कि ये इस जद्दोजहद के परिक्षण में भी खरे उतरने के लिए हर संभव प्रयास कर रहें है। साथ ही आगे भी बढ़ रहें हैं।
आज कल छात्रों के लिए असमंजस का दौर चल रहा है। हर छात्र परेशान है अपने दाखिले को ले कर। मेरे घर में भी कुछ ऐसा ही तनाव बना हुआ है। मेरी बेटी के कॉलेज में दाखिले को ले कर न जाने क्या क्या प्रयास किये जा रहें है। जब तक ये सब कुछ निपट नहीं जाता तब तक यही माहौल बना रहेगा। सब अभिवावक यही चाहते है कि अच्छे से अच्छे कॉलेज में उनके बच्चे का दाखिला हो और उस दाखिले की बदौलत वो जीवन में नई ऊंचाइयां छू पाये। पर इस उद्देश्य में जो सब से बड़ी बाधा है वह है परसेंट की मारा मारी। आज दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्थिति ये हो गयी है कि कई विषयों की कटऑफ 100.75 % चली गयी। अब आप ये बताएं कि 100 नंबर के पेपर में कोई बच्चा 100.75% नंबर कैसे ला सकता है। एक हमारा समय था जब 60 % पर प्रथम श्रेणी आने पर माता पिता बहुत खुश हो जाया करते थे। उनके लिए के बच्चे का नाम अख़बार की प्रथम श्रेणी वाली लिस्ट में आ जाना ही एक बड़ी उपलब्धि हुआ करता था। आज स्थिति ये है कि मेरी बेटी ने 95 % से 12 वीं की परीक्षा उत्रीर्ण की है फिर भी उसे दाखिले के लिए कटऑफ की राह ताकनी पड़ रही है। ये सब ही बच्चे को तनाव की ओर धकेल देता है। अब आप खुद ही सोचें कि बच्चे के परिश्रम का स्तर किस कदर बढ़ चूका है कि हर बार उसका level ऊँचा हो जाता है। आखिर इस की क्या सीमा होगी और ये किस स्तर पर जा कर रुकेगा ?
अब हर छात्र बेहतर प्रदर्शन के लिए जी जान एक कर देता है फिर भी कई बार उसे मनचाहा परिणाम नहीं मिलता। ये ही उनके frustration का कारण बनता है। इसी तनाव की वजह से वो कोई गलत कदम भी उठा लेते हैं। दिन पर दिन नई नई विधाओं और कोर्सेस के आने की वजह से सीखने का दायरा भी बढ़ता ही जा रहा है। क्या क्या और कब तक सब कुछ बच्चा सीखता रहे। साक्षात्कार में ये पूछना जारी है कि आप ने कौन कौन सी उपलब्धि हांसिल की है। इस का सिलसिलेवार ब्यौरा देना आवश्यक है। ये भी संभव है कि जितना आप के बच्चे ने सीखा है उससे कुछ विभिन्न और ज्यादा सीखें हुए बच्चे को ये मौका दे दिया जाए। ये विभिन्नता भी एक महत्वपूर्ण कारण है बच्चे के भ्रमित होने का। आखिर कौन सा चुनूं और इस के लिए लगाया गया समय बाद में किस तरह फलेगा ? ये प्रश्न आज हर बच्चे के सामने खड़ा है। फिर भी मैं दाद देना चाहूंगी आज की पीढ़ी की , कि ये इस जद्दोजहद के परिक्षण में भी खरे उतरने के लिए हर संभव प्रयास कर रहें है। साथ ही आगे भी बढ़ रहें हैं।
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