सुकून के खोल से बाहर झांको तो ……!

क्या आप तरक्की की चाह रखते  हैं ? बेशक ये एक सत्य है। लेकिन इस वाक्य का दूसरा पहलु देखें वो ये कि क्या मनचाही तरक्की अपने आस - पास  एक कम्फर्ट ज़ोन बना कर हांसिल की जा सकती है ?  हमने जब भी कोई चीज चाही है तो हम उसे आसानी से या सरलता से पाने की ख़्वाहिश रखते हैं। जबकि ये तो सभी जानते हैं कि दिमाग सबसे ज्यादा विकट परिस्थिति में ही चलता है। जब अपने आप को बचाने या survive करने का लिए options तलाशने होते हैं। बेहतर जीवन के लिए उस कठिन रास्तों को अपनाना होगा जिन पर चलने के लिए मन बारबार रोक रहा हो। क्योंकि इन्ही रास्तों की सीख से आगे आने वाली कई परेशानियों के हल मिल सकते हैं। हम सोचते हैं कि जीवन को हम जी रहें हैं जबकि वास्तव में जीवन हमें जीने का मौका दे रहा है।  जिसे हम उसकी सुविधा को देखते हुए जिएंगे। अर्थात जीवन को बनाये रखने के लिए वो हमसे जो भी समझौते करवाएगा उसे हम सहर्ष स्वीकार करेंगे क्योंकि उसकी ख़ुशी में ही आगे चल कर हमारी ख़ुशी निहित है। 
                                 जब भी आप किसी ऐसी परिस्थिति में हों जहाँ सुकून और शांति हो आप खुद महसूस करें कि आप relax हो जातें है और फिर कोई भी नई सोच आप को नहीं छूती। जब कि इस के विपरीत जब भी आप संकट में हों  बहुत बेचैन महसूस कर रहें हो तब आप उसे हल करने या उससे निजात पाने के सैकड़ों options  ढूंढ रहे होते हैं। इसे ही सही मायनों में क्रियात्मकता कहते हैं। इस लिए active रहने के लिए जरूरी है कि अपने सुरक्षित खोल बाहर निकलिये। यदि pupa अपने खोल को सुरक्षित मान कर जीवन भर उसी में पड़ा रहें तो बड़ा कैसे होगा और उड़ना कैसे सीखेगा। संघर्ष से जीवन में विविधता आती है। चुनौतियाँ एक भट्टी  तरह है जिसमें इंसान को लोहे सा तप कर निकलना होता है।  कभी कभी आप को ये चुनौतियाँ खुद create करनी पड़ती हैं।  क्योंकि एक तो आप रोज वही सब देख कर , जी कर ऊब चुकें हैं।  दूसरे  आगे बढ़ने के लिए ये साहस भरा कदम होगा कि दूसरों के मुकाबले आप कठिन रास्तों पर चल रहें हैं। हो सकता है कि इस कदम से सफलता का एक बड़ा प्रतिशत आप की झोली में आ गिरे। आप का व्यक्तित्व भी एक अलहदा मुकाम पर खड़ा किया जाएगा। ये एक achievement है जो आप पा सकतें हैं।  इस लिए  अपने इर्द गिर्द बनाये सुकून के घेरे  बाहर निकलिए और तब किसी और रंगीनियत  अहसास से रूबरू होइए।   

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