एक नम्र निवेदन………! 
मैं अपने आलेखों के प्रकाशन में नियमित नहीं हूँ इस का एक प्रमुख कारण मेरी व्यस्तता है। इस के लिए मैंने हमेशा अपने पाठकों से क्षमा मांगी हैं।  पर आज मुझे के दूसरा कारण भी समझ आया जो की वस्तुतः प्रभावी सिद्ध हो रहा है और मैं उस के प्रति अनजान थी। वह है नियमित पाठकों का आभाव .......... पाठकों की संख्या का बढ़ता घटता ग्राफ कई बार मेरे लिखने के हौसले को परास्त देता है। मैं सोचने पर मजबूर हो जाती हूँ कि क्या मैं आप लोगों की उम्मीद के अनुसार नहीं लिख रही हूँ ? क्योंकि भारत से बाहर के पाठक हिंदी में लिखे मेरे आलेखों को मेरी शैली और प्रस्तुति की वजह से ही पढ़तें होंगे। ये हो सकता है कि मेरे मन का भ्रम हो। पर एक बार फिर आप से क्षमाप्रार्थी हो कर निवेदन कि यदि आप लोगों को मेरे लेखों को पढ़ने और नियमित देखने की रूचि है तो समय निकाल कर निरंतरता बनाये रखें।  आप पाठकों की बढ़ती संख्यां ही मेरा हौसला है। जो मुझे ये दिखाती है कि लोग मुझे पढ़ना पसंद करते हैं और रूचि रखतें हैं। यदि आप लोगों में से कोई खास विषय पर लेख चाहते हो तो कृपया सन्देश के जरिये आप अपना सुझाव भेज सकते हैं मैं पूरा करने का भरसक प्रयास करूंगी। ऐसा मेरा वादा है अपने प्रिय पाठकों से ………। 

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