फैशन की अंधी दौड़ .......!
फैशन परस्ती के मारे , ये हमारे युवा बेचारे। इस वक्तव्य से आज के लेख का मजमून तो समझ ही गए होंगे। लेकिन फिर भी विस्तार से इस घटना का अवलोकन और चिंतन आवश्यक है। इस लिए कि यदि इसी तरह युवा फैशन की अंधी दौड़ में शामिल होते रहे तो ऐसा एक दिन आ ही जाएगा जब इन्ही कपड़ों का चुनाव उनके जीवन के लिए घातक सिद्ध होने लगेगा। ऐसा हुआ भी उदाहरण देखिये .... ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड शहर में एक युवती ने इतनी स्किन टाइट जीन्स पहन ली कि उसकी पैर की रक्त वाहिनियां कस गयी और रक्त प्रवाह रुक गया। जिस से उसके पूरे पैरों में सूजन आ गयी और उसका चलना फिरना भी बंद हो गया । फिर उसे अस्पताल ले जा कर जींस कटवा कर निकलवानी पड़ी। तब जा कर जींस शरीर से अलग हुई और रक्त प्रवाह सामान्य हो पाया। एक अन्य उदाहरण देखें चंडीगढ़ के पास की एक युवती ने पेंसिल हील पहनने के शौक के कारण हमेशा के लिए अपाहिज हो जाने का रास्ता चुन लिया। एक उबड़ खाबड़ स्थान पर इसी शौक ने उसका संतुलन बिगाड़ दिया और उसके कूल्हे की हड्डी टूट गयी। आज वह सामान्य रूप से भी नहीं चल पाती है। इसी तरह का एक और किस्सा प्रस्तुत है , एक प्रसिद्ध मंदिर के दर्शन के लिए गयी युवती ने जमीन तक छूता हुआ लम्बा कुर्ता पहना हुआ था। सीढियाँ उतरते हुए उसने कुर्ते की ओर ध्यान नहीं दिया और वह पीछे उतरते हुए एक व्यक्ति के पैरों में आ कर दब गया। जिस से युवती का संतुलन बिगड़ा और वह सीढयों की एक लम्बी श्रृंखला पर लुढ़कती हुई नीचे आ गिरी। काफी जख्मी हो गयी। एक लम्बे इलाज से गुजरना पड़ा। ये सब सामान्य से उदाहरण है पर सभी के परिणाम घातक ,जो की जीवन से जुड़े हैं।
वस्त्र तन ढाँकने का एक माध्यम है। बॉलीवुड अदाकारों की तरह हमें सिर्फ अपना शॉट देकर उस वस्त्र को उतार देना नहीं पड़ता। हम उसमें अपना पूरा दिन गुजारना होता है। इस लिए जिन वस्त्रों के साथ हम सबसे सुविधाजनक महसूस करते हैं हमें उन्हें ही अपने रोजमर्रा के जीवन में पहनना चाहिए। ढीले ढाले वस्त्र शरीर को सुकून और खुलापन देते हैं। फैशन की दौड़ में भागते हुए उन वस्त्रों का चयन न किया जाए जो जीवन पर भारी पड़तें हैं। इस लिए चुने वही जो सुकून और आसानी दें और जिसे हमारा शरीर ख़ुशी से सुरक्षित रहते हुए स्वीकार करे।
फैशन परस्ती के मारे , ये हमारे युवा बेचारे। इस वक्तव्य से आज के लेख का मजमून तो समझ ही गए होंगे। लेकिन फिर भी विस्तार से इस घटना का अवलोकन और चिंतन आवश्यक है। इस लिए कि यदि इसी तरह युवा फैशन की अंधी दौड़ में शामिल होते रहे तो ऐसा एक दिन आ ही जाएगा जब इन्ही कपड़ों का चुनाव उनके जीवन के लिए घातक सिद्ध होने लगेगा। ऐसा हुआ भी उदाहरण देखिये .... ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड शहर में एक युवती ने इतनी स्किन टाइट जीन्स पहन ली कि उसकी पैर की रक्त वाहिनियां कस गयी और रक्त प्रवाह रुक गया। जिस से उसके पूरे पैरों में सूजन आ गयी और उसका चलना फिरना भी बंद हो गया । फिर उसे अस्पताल ले जा कर जींस कटवा कर निकलवानी पड़ी। तब जा कर जींस शरीर से अलग हुई और रक्त प्रवाह सामान्य हो पाया। एक अन्य उदाहरण देखें चंडीगढ़ के पास की एक युवती ने पेंसिल हील पहनने के शौक के कारण हमेशा के लिए अपाहिज हो जाने का रास्ता चुन लिया। एक उबड़ खाबड़ स्थान पर इसी शौक ने उसका संतुलन बिगाड़ दिया और उसके कूल्हे की हड्डी टूट गयी। आज वह सामान्य रूप से भी नहीं चल पाती है। इसी तरह का एक और किस्सा प्रस्तुत है , एक प्रसिद्ध मंदिर के दर्शन के लिए गयी युवती ने जमीन तक छूता हुआ लम्बा कुर्ता पहना हुआ था। सीढियाँ उतरते हुए उसने कुर्ते की ओर ध्यान नहीं दिया और वह पीछे उतरते हुए एक व्यक्ति के पैरों में आ कर दब गया। जिस से युवती का संतुलन बिगड़ा और वह सीढयों की एक लम्बी श्रृंखला पर लुढ़कती हुई नीचे आ गिरी। काफी जख्मी हो गयी। एक लम्बे इलाज से गुजरना पड़ा। ये सब सामान्य से उदाहरण है पर सभी के परिणाम घातक ,जो की जीवन से जुड़े हैं।
वस्त्र तन ढाँकने का एक माध्यम है। बॉलीवुड अदाकारों की तरह हमें सिर्फ अपना शॉट देकर उस वस्त्र को उतार देना नहीं पड़ता। हम उसमें अपना पूरा दिन गुजारना होता है। इस लिए जिन वस्त्रों के साथ हम सबसे सुविधाजनक महसूस करते हैं हमें उन्हें ही अपने रोजमर्रा के जीवन में पहनना चाहिए। ढीले ढाले वस्त्र शरीर को सुकून और खुलापन देते हैं। फैशन की दौड़ में भागते हुए उन वस्त्रों का चयन न किया जाए जो जीवन पर भारी पड़तें हैं। इस लिए चुने वही जो सुकून और आसानी दें और जिसे हमारा शरीर ख़ुशी से सुरक्षित रहते हुए स्वीकार करे।
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