छुपा हुआ दर्दनाक सच ………!
क्या आप इसे हृदय की कोमलता कहेंगे कि कोई घटना या कुछ देखने के बाद उसके प्रभाव का आप पर लम्बे समय तक असर रहें और आप सोचते रहें कि आखिर ऐसा क्यों हुआ या किया गया ? क्योंकि घटनाएं तो जीवन में आनी जानी हैं और आज इंटरनेट के ज़माने में बहत कुछ तो नेट के ही जरिये पता चलता रहता है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ जिसके असर से मैं पूरी रात नहीं सोई और दहशत में ना जाने क्या क्या सोचती रही । मामला ये है कि मेरी बेटी ने मुझे रात सोने से पहले युगांडा के एक परिवार का वीडियो दिखाया। उस वीडियो में ये दर्शाया गया की माता पिता दोनों नौकरीपेशा हैं। और वो अपने दो साल के एक बच्चे को एक आया यानि नौकरानी के भरोसे घर छोड़ कर चले जाते हैं। अब उस वीडियो का सबसे दर्दनाक अंश यहाँ से शुरू होता है। जिसमे वो आया बच्चे को सोफे पर बैठा कर खाना खिला रही है। बच्चे का पेट भर गया फिर भी उसने बच्चे के साथ और खिलाने की जबरदस्ती की। बच्चे ने उल्टी यानि vomit कर दी अब उस आया ने उसे सर से धक्का मार कर पहले तो जमीन पर मुहं के बल फेंक दिया। फिर एक stick ले कर उसे खूब मारा। उसे अपने पैरों से इधर उधर धक्का मारती रही। अब निर्दयता की चरम सीमा देखिये कि इतने के बावजूद वो उस मुहँ के बल गिरे बच्चे की पीठ पर पैर रखकर चढ़ गयी। ऐसा उसने कई बार किया। फिर उसे घसीटते हुए दूसरे कमरे में ले गयी। ये वीडियो इस लिए बन पाया क्योंकि उस परिवार ने कमरे में छुपा कैमरा लगा दिया था।
मुझे नहीं पता कि उस आया के साथ क्या सुलूक किया गया या बच्चे के माता पिता ने उसे किस तरह की सजा दिलवाई। पर उस फूल से मासूम बच्चे की इस तरह की दुर्गति देख कर मेरा कलेजा मुहं को आ गया। और अहसास हुआ कि क्या दोनों का कमाना इतना जरूरी है जिसके लिए अपने जिगर के टुकड़े की ये दशा बनाई जाए। अच्छा है कि आज भी भारत में औरत का गृहणी होना परिवार के लिए अच्छा माना जाता है। कम पैसे में गृहस्थी चलाना या जीना बेहतर है बजाये कि उसके लिए ऐसे लोगों के हाथ अपने बच्चे को सौंप देना। माँ के दिल का कोई मुकाबला है क्या ? बच्चो की जो परवरिश माँ कर सकती हैं क्या किसी दूसरे से वो प्यार और लगाव की उम्मीद की जा सकती है। मैंने सब से पहले उस आया की जगह खुद को रख कर सोचा , उस बच्चे की माँ न होते हुए भी उस मासूम से चेहरे को इस तरह से तिरस्कृत नहीं कर पा रही थी जिस तरह उस आया ने किया। उसका गुनाह माफ़ी या कम आंकने लायक कत्तई नहीं हैं। इस लिए मेरा मानना ये है कि यदि आप माँ या पिता बन चुके है तो अपने बच्चों को प्राथमिक समझते हुए पहले उन्हें उनके स्थान पर खड़ा होने दीजिये फिर आप अपने भविष्य के बारे में फैसले करें। जिन्हे आप दुनिया में लाये हो उन्हें दुनिया की हकीकत आप ही बेहतर समझा सकते हों। इस लिए उन्हें उसे समझने लायक बनने का मौका दें। जिस से वो ऐसी दुर्घटनाओं का शिकार होने से बच सकें।
क्या आप इसे हृदय की कोमलता कहेंगे कि कोई घटना या कुछ देखने के बाद उसके प्रभाव का आप पर लम्बे समय तक असर रहें और आप सोचते रहें कि आखिर ऐसा क्यों हुआ या किया गया ? क्योंकि घटनाएं तो जीवन में आनी जानी हैं और आज इंटरनेट के ज़माने में बहत कुछ तो नेट के ही जरिये पता चलता रहता है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ जिसके असर से मैं पूरी रात नहीं सोई और दहशत में ना जाने क्या क्या सोचती रही । मामला ये है कि मेरी बेटी ने मुझे रात सोने से पहले युगांडा के एक परिवार का वीडियो दिखाया। उस वीडियो में ये दर्शाया गया की माता पिता दोनों नौकरीपेशा हैं। और वो अपने दो साल के एक बच्चे को एक आया यानि नौकरानी के भरोसे घर छोड़ कर चले जाते हैं। अब उस वीडियो का सबसे दर्दनाक अंश यहाँ से शुरू होता है। जिसमे वो आया बच्चे को सोफे पर बैठा कर खाना खिला रही है। बच्चे का पेट भर गया फिर भी उसने बच्चे के साथ और खिलाने की जबरदस्ती की। बच्चे ने उल्टी यानि vomit कर दी अब उस आया ने उसे सर से धक्का मार कर पहले तो जमीन पर मुहं के बल फेंक दिया। फिर एक stick ले कर उसे खूब मारा। उसे अपने पैरों से इधर उधर धक्का मारती रही। अब निर्दयता की चरम सीमा देखिये कि इतने के बावजूद वो उस मुहँ के बल गिरे बच्चे की पीठ पर पैर रखकर चढ़ गयी। ऐसा उसने कई बार किया। फिर उसे घसीटते हुए दूसरे कमरे में ले गयी। ये वीडियो इस लिए बन पाया क्योंकि उस परिवार ने कमरे में छुपा कैमरा लगा दिया था।
मुझे नहीं पता कि उस आया के साथ क्या सुलूक किया गया या बच्चे के माता पिता ने उसे किस तरह की सजा दिलवाई। पर उस फूल से मासूम बच्चे की इस तरह की दुर्गति देख कर मेरा कलेजा मुहं को आ गया। और अहसास हुआ कि क्या दोनों का कमाना इतना जरूरी है जिसके लिए अपने जिगर के टुकड़े की ये दशा बनाई जाए। अच्छा है कि आज भी भारत में औरत का गृहणी होना परिवार के लिए अच्छा माना जाता है। कम पैसे में गृहस्थी चलाना या जीना बेहतर है बजाये कि उसके लिए ऐसे लोगों के हाथ अपने बच्चे को सौंप देना। माँ के दिल का कोई मुकाबला है क्या ? बच्चो की जो परवरिश माँ कर सकती हैं क्या किसी दूसरे से वो प्यार और लगाव की उम्मीद की जा सकती है। मैंने सब से पहले उस आया की जगह खुद को रख कर सोचा , उस बच्चे की माँ न होते हुए भी उस मासूम से चेहरे को इस तरह से तिरस्कृत नहीं कर पा रही थी जिस तरह उस आया ने किया। उसका गुनाह माफ़ी या कम आंकने लायक कत्तई नहीं हैं। इस लिए मेरा मानना ये है कि यदि आप माँ या पिता बन चुके है तो अपने बच्चों को प्राथमिक समझते हुए पहले उन्हें उनके स्थान पर खड़ा होने दीजिये फिर आप अपने भविष्य के बारे में फैसले करें। जिन्हे आप दुनिया में लाये हो उन्हें दुनिया की हकीकत आप ही बेहतर समझा सकते हों। इस लिए उन्हें उसे समझने लायक बनने का मौका दें। जिस से वो ऐसी दुर्घटनाओं का शिकार होने से बच सकें।
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