कविता

कविता : खामोशी का सफ़र              ••••••••••••••••••••••••••

ख़ामोशियों का ही सफर है

इसीलिए जिन्दगी में शब्द बेअसर हैं

हर चेहरा मुस्कराहट ओढ़े है

अंदर गहरे ज़ख्मों का भरपूर असर हैं

कोशिशें में कहां रह गयी कसर है

जो मन की मन में दबी बात बेखबर है

दिल की बात लबों तक आती नहीं

हर जज़्बात का अब आँखों में बसर है

बेचैनियां देखो कितनी बेसबर हैं

कि हर बार उठता एक हूक का बवंडर है

कहकर जी हल्का करने की जबर है

पर हर कोई अपनी ही धुन में नाख़बर है

यही जीवन है जो इसी तरह निरंतर है

चलते रहो रुको नहीं ये जिंदगी का सफर है


       ~ जया सिंह ~


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