जननी की मुश्किल
जननी की मुश्किल :
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बहुत सारा सुकून गंवाकर
जो ये अनमोल खुशियां मिलती है..!
क्यों सिर्फ बचपने तक ही
उस एहसास की मंजिल होती है..?
क्यों पंख निकलते ही आसमान
आंचल से बड़ा हो जाता है.....? ?
क्यों उनकी दुनिया को ममता की
परिधि में रहने पर मुश्किल होती है..?
जिस मां का सिर्फ़ नाम पुकारने से
पूरे दिन भर सुकून मिलता है
उसी मां की देहरी उन्हें ख़ुद तक
बांधने में नाकाबिल होती है...??
कभी जिस चेहरे का स्नेहिल भाव
हमारी खुशियों का बंधन होता है
उसी मां के लिए इस बन्धन से
आज़ादी क्यों मुश्किल होती है
जिसे सींच कर इतना बड़ा किया
उसी से अलग होना नियति है तो
नाल का बंधन टूटना क्यों हर एक
जननी की मुश्किल होती है...!!
~ जया सिंह ~
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