व्यव्हार ,सदाचार और डर ..... !
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किसी अप्रत्याशित घटना के बारे में पता चले और वो इस हद तक घृणित हो तो उसे आप सभी से बाँट कर कुछ हल्का होने साथ ही नए लोगों को इस ओर जागृत करने का मन करने लगता है। दक्षिण के वेल्लोर के एक मेडिकल कॉलेज में चार पांच मेडिकल छात्रों ने जो कृत्य किया वह अत्यंत घृणित था साथ ही वहशियाना भी। उनके हॉस्टल के कमरे में कही से एक मादा बंदरिया घुस गयी। इन छात्रों ने उस पर कम्बल डाल कर उसे पकड़ लिया। फिर वायर से उसके हाथ पैर बांध दिए। उसके बाद उन्होंने जो किया वह सुनने लायक नहीं है। सब ने मिल कर उसे डंडों और बेल्ट से पीटा , उसके जबड़े तोड़ डाले , पैरों की हड्डियाँ तोड़ दी ,पेट से आंतें बाहर निकाल दी , साथ ही उसके अंदरूनी अंगों में मेटल रॉड डाल कर उसके साथ अप्राकृतिक बलात्कार करने का प्रयास किया। मादा बंदर की सहनशक्ति जवाब देने पर वह तकलीफ से मर गयी तो उसे कैंपस में ही एक गड्ढा खोद कर दफना दिया गया और सोने चले गए जैसे की कुछ हुआ ही न हो। इस घटना का सबसे दुखद पहलु ये है कि ये छात्र मेडिकल की पढाई कर रहे थे। जिनकी शरुआत ही एक प्रण से होती है वह है जीवन बचाने की जद्दोजहद। उनकी पढाई का मुख्य उद्द्येश्य ही तकलीफ और परेशानियों से लड़ कर जीवन को जिताना है।
ये क्या है , और क्यों ऐसा हुआ ....... क्या हम अपने आ ने वाली पीढ़ी को यही सीखा रहे है कि जिंदगी के मजे ऐसे ही लिए जातें हैं। अच्छा है , बहुत ही अच्छा , हम इसी तरह एक ऐसे समाज की स्थापना की ओर कदम बढ़ा रहें है जहाँ अपनी इच्छापूर्ति के लिए अब इंसान , इंसान का ही नहीं किसी भी जीवित प्राणी का प्रयोग कर सकता है। भले ही वह अप्राकृतिक कृत्य की श्रेणी में आता हो। अब व्यवस्था ये बन रही है कि युवा बेलगाम हो गए है। अब ईश्वर के प्रकोप का भी डर नहीं रह गया। ये तो सभी मानते है कि कोई ऐसी शक्ति है जो इस जग को चला रही है और हम सभी के जीवन को डोर उसके हाथ में है। फिर क्यों ऐसे गलत कृत्य करते समय एक बार भी मन ये नहीं सोचता कि क्या इस कृत्य के परिणाम स्वरुप हमें भी कुछ सजा मिल सकती है ? क्या अब हम अपने भाग्य के खुद रचयिता हैं। क्या आज जीना या कल मरना भी हमारे ही हाथ में है ? हम सब मिल कर सोचें और फिर थोड़ा सा डरना शुरू करें शायद इसी डर की वजह से थोड़ा सा सुधर जाएँ। .................

किसी अप्रत्याशित घटना के बारे में पता चले और वो इस हद तक घृणित हो तो उसे आप सभी से बाँट कर कुछ हल्का होने साथ ही नए लोगों को इस ओर जागृत करने का मन करने लगता है। दक्षिण के वेल्लोर के एक मेडिकल कॉलेज में चार पांच मेडिकल छात्रों ने जो कृत्य किया वह अत्यंत घृणित था साथ ही वहशियाना भी। उनके हॉस्टल के कमरे में कही से एक मादा बंदरिया घुस गयी। इन छात्रों ने उस पर कम्बल डाल कर उसे पकड़ लिया। फिर वायर से उसके हाथ पैर बांध दिए। उसके बाद उन्होंने जो किया वह सुनने लायक नहीं है। सब ने मिल कर उसे डंडों और बेल्ट से पीटा , उसके जबड़े तोड़ डाले , पैरों की हड्डियाँ तोड़ दी ,पेट से आंतें बाहर निकाल दी , साथ ही उसके अंदरूनी अंगों में मेटल रॉड डाल कर उसके साथ अप्राकृतिक बलात्कार करने का प्रयास किया। मादा बंदर की सहनशक्ति जवाब देने पर वह तकलीफ से मर गयी तो उसे कैंपस में ही एक गड्ढा खोद कर दफना दिया गया और सोने चले गए जैसे की कुछ हुआ ही न हो। इस घटना का सबसे दुखद पहलु ये है कि ये छात्र मेडिकल की पढाई कर रहे थे। जिनकी शरुआत ही एक प्रण से होती है वह है जीवन बचाने की जद्दोजहद। उनकी पढाई का मुख्य उद्द्येश्य ही तकलीफ और परेशानियों से लड़ कर जीवन को जिताना है।
ये क्या है , और क्यों ऐसा हुआ ....... क्या हम अपने आ ने वाली पीढ़ी को यही सीखा रहे है कि जिंदगी के मजे ऐसे ही लिए जातें हैं। अच्छा है , बहुत ही अच्छा , हम इसी तरह एक ऐसे समाज की स्थापना की ओर कदम बढ़ा रहें है जहाँ अपनी इच्छापूर्ति के लिए अब इंसान , इंसान का ही नहीं किसी भी जीवित प्राणी का प्रयोग कर सकता है। भले ही वह अप्राकृतिक कृत्य की श्रेणी में आता हो। अब व्यवस्था ये बन रही है कि युवा बेलगाम हो गए है। अब ईश्वर के प्रकोप का भी डर नहीं रह गया। ये तो सभी मानते है कि कोई ऐसी शक्ति है जो इस जग को चला रही है और हम सभी के जीवन को डोर उसके हाथ में है। फिर क्यों ऐसे गलत कृत्य करते समय एक बार भी मन ये नहीं सोचता कि क्या इस कृत्य के परिणाम स्वरुप हमें भी कुछ सजा मिल सकती है ? क्या अब हम अपने भाग्य के खुद रचयिता हैं। क्या आज जीना या कल मरना भी हमारे ही हाथ में है ? हम सब मिल कर सोचें और फिर थोड़ा सा डरना शुरू करें शायद इसी डर की वजह से थोड़ा सा सुधर जाएँ। .................
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