अंधी श्रद्धा के पीछे का सत्य …… वीभत्स !
एक बात हमेशा मेरे जेहन में आती है वह ये कि कार्य का वर्गीकरण किसने किया है कि अमुक कार्य सिर्फ महिलाओं का ही हैं और अमुक कार्य पुरुषों का ………मुझे लिखने का शौक है और चाहती हूँ की ये रोज कर सकूँ पर घर गृहस्थी के कामों में इस कदर उलझ जाती हूँ की पूरा दिन कैसे गुजर जाता है पता ही नहीं चलता। और कमाल ये कि किसी से आप मदद की भी उम्मीद नहीं कर सकते क्योंकि ये औरत ही का काम हैं। यही कारण है की लिखने की निरंतरता बाधित होती है जिस का मुझे खेद है। पर चलिए जैसे भी समय मिलता है अपने लिखने के निरंतरता को बनाने का प्रयास करूंगी।
आज में जिस विषय पर बात करना चाहती हूँ उस विषय से सम्बंधित ही एक चर्चा पहले भी हो चुकी हैं। जिस का आज तक कोई समाधान नहीं निकला वह है संतो को धर्म गुरु मान कर अंध भक्त बन जाना ……आसाराम आज भी जेल में बंद हैं और आज भी उनके समर्थकों की आँखे नहीं खुली हैं। बिना आग के धुआं नहीं उठता क्या ये सत्य उन्हें समझ नहीं आता या दुनिया में दिन पर दिन बढ़ती असभ्यता से उनका पाला नहीं पड़ा। आज भी गुरु पूर्णिमा पर हजारों की संख्यां में समर्थक जोधपुर जेल के आगे धोक लगा कर गुरु का आशीर्वाद लेने की कोशिश करते हैं। वह गुरु जो एक छोटी नाबालिग बच्ची के बलात्कार के आरोप में जेल में बंद है और आरोप से बरी नहीं हो पाया है।
नया किस्सा है हरियाणा ,बरवाला के करौंधा गाँव के संत रामपाल का जिन्हे हत्या के आरोप में बंदी बनाये जाने के लिए पिछले 8 दिनों से पुलिस बल अपनी पूरी ताकत झोक रहा है पर उनके अंधे समर्थकों के कारण उनके सारे प्रयास धूल में मिल जा रहें हैं। अब इन बाबा की कहानी जानिए .......... ये एक सरकारी कर्मचारी थे और सिंचाई विभाग में कार्य करते थे। उसी दौरान एक संत स्वामी रामदेवानन्द से परिचय होने के बाद ये सत्संग करने लगे और खुद को कबीरदास जी का अवतार बता कर लोगों को प्रभावित किया। जींद में एक आश्रम खोला और वहाँ लोगो को जोड़ने की कोशिश की। वहां कुछ लोगो ने विरोध किया तो करौंधा में भक्ति ट्रस्ट के नाम से एक नयी संस्था शुरू की और फिर से लोगों को बेवकूफ बनाना शुरू किया और कमाल ये की लोग फसते चले आज 50 हजार से ज्यादा समर्थक जोड़ कर ये बाबा अपनी मांद में सुरक्षित बैठा है। लोग उसकी लड़ाई लड़ कर अपनी जाने दे रहें हैं। शुरू से ही ये बाबा विवादों में रहा है जिस जमीन पर ये ट्रस्ट बना है वह भी एक महिला से हथियाई हुई बताई जाती है। स्वामी दयानंद पर वीभत्स टिप्पणी करने से आर्यसमाजी लोगो के क्रोध के कारण कई झड़पें हुई जिस में बहुत से लोग मारे भी गए। वह मामला आज भी कोर्ट में चल रहा है। और विवाद बरक़रार हैं
अब इस पुरे वृतांत के बाद बाबा का चारित्रिक विश्लेषण आवश्यक है। वह ये की कबीरदास जी एक महान संत थे और वह खुद को किसी भी धर्म से नहीं जोड़ते थे। उनका अवतार होने का मतलब आदर ,प्रेम, अहिंसा और निश्चलता का जीवन जीना । उनके दोहों को आप जब भी पढ़ेंगे तब - तब आप उनकी महान सोच की दाद देने से खुद को नहीं रोक पाएंगे। ऐसे महान संत का ये अवतार जो की हत्या और जालसाजी के आरोप में खुद को जमीदोज कर के बैठा हैं। और फिर लोगों को क्या हो गया है ? ये सोचना ज्यादा जरूरी हैं। ये इतने ताकतवर इस लिए बनते हैं क्योंकि इनके पीछे इतनी बड़ी संख्या में समर्थक जो खड़े रहते हैं। इनके गलत को सही और कथन को आशीर्वाद बनाने के लिए समर्थक अपना सब कुछ देने को तयार जो रहते हैं। ये आखिर क्यों नहीं समझ में आता की हमारी तरह ही सोने खाने पीने उठने बैठने वाला व्यक्ति भगवान कैसे हो सकता हैं ? अच्छी बाते और ज्ञान के लिए ऐसे भ्रष्ट गुरुओं की दरकार नहीं हैं। ये ज्ञान आप को बुजुर्ग, माता , पिता या अच्छी पुस्तकों से भी मिल सकता हैं। उन्हें अपना गुरु मान लेना जो खुद के आचरण को भी नहीं संभाल सकते वह आप को क्या सही राह दिखाएंगे। अब खुद ही ये निर्णय ले कर चेतना होगा की इन बाबाओं के जाल से निकल कर कुछ सार्थक प्रयास करें जो वाकई सोच और जीवन दोनों को बदल सकें। इन सब से तो बेहतर श्री श्री रविशंकर जी की आर्ट ऑफ़ लिविंग कक्षाएं है जिस में जीवन की तमाम परेशानियों को कैसे हँसते हँसते खत्म किया जाए ये सिखाया जाता है। कैसे ज्यादा तनाव में न आकर जीवन को खुश होकर जिया जाए। रोजमर्रा की उलझनों को कैसे चुटकियों में एक चुनौती में बदला जाए। ये सीखने योग्य बातें है जिन से जीवन बेहतर बन सके न की इन बाबाओं के चक्कर में भगवान को पाने की आस में धोबी के कुत्ते बन जाओ घर के रहो ना घाट के। …………।
एक बात हमेशा मेरे जेहन में आती है वह ये कि कार्य का वर्गीकरण किसने किया है कि अमुक कार्य सिर्फ महिलाओं का ही हैं और अमुक कार्य पुरुषों का ………मुझे लिखने का शौक है और चाहती हूँ की ये रोज कर सकूँ पर घर गृहस्थी के कामों में इस कदर उलझ जाती हूँ की पूरा दिन कैसे गुजर जाता है पता ही नहीं चलता। और कमाल ये कि किसी से आप मदद की भी उम्मीद नहीं कर सकते क्योंकि ये औरत ही का काम हैं। यही कारण है की लिखने की निरंतरता बाधित होती है जिस का मुझे खेद है। पर चलिए जैसे भी समय मिलता है अपने लिखने के निरंतरता को बनाने का प्रयास करूंगी।
आज में जिस विषय पर बात करना चाहती हूँ उस विषय से सम्बंधित ही एक चर्चा पहले भी हो चुकी हैं। जिस का आज तक कोई समाधान नहीं निकला वह है संतो को धर्म गुरु मान कर अंध भक्त बन जाना ……आसाराम आज भी जेल में बंद हैं और आज भी उनके समर्थकों की आँखे नहीं खुली हैं। बिना आग के धुआं नहीं उठता क्या ये सत्य उन्हें समझ नहीं आता या दुनिया में दिन पर दिन बढ़ती असभ्यता से उनका पाला नहीं पड़ा। आज भी गुरु पूर्णिमा पर हजारों की संख्यां में समर्थक जोधपुर जेल के आगे धोक लगा कर गुरु का आशीर्वाद लेने की कोशिश करते हैं। वह गुरु जो एक छोटी नाबालिग बच्ची के बलात्कार के आरोप में जेल में बंद है और आरोप से बरी नहीं हो पाया है।
नया किस्सा है हरियाणा ,बरवाला के करौंधा गाँव के संत रामपाल का जिन्हे हत्या के आरोप में बंदी बनाये जाने के लिए पिछले 8 दिनों से पुलिस बल अपनी पूरी ताकत झोक रहा है पर उनके अंधे समर्थकों के कारण उनके सारे प्रयास धूल में मिल जा रहें हैं। अब इन बाबा की कहानी जानिए .......... ये एक सरकारी कर्मचारी थे और सिंचाई विभाग में कार्य करते थे। उसी दौरान एक संत स्वामी रामदेवानन्द से परिचय होने के बाद ये सत्संग करने लगे और खुद को कबीरदास जी का अवतार बता कर लोगों को प्रभावित किया। जींद में एक आश्रम खोला और वहाँ लोगो को जोड़ने की कोशिश की। वहां कुछ लोगो ने विरोध किया तो करौंधा में भक्ति ट्रस्ट के नाम से एक नयी संस्था शुरू की और फिर से लोगों को बेवकूफ बनाना शुरू किया और कमाल ये की लोग फसते चले आज 50 हजार से ज्यादा समर्थक जोड़ कर ये बाबा अपनी मांद में सुरक्षित बैठा है। लोग उसकी लड़ाई लड़ कर अपनी जाने दे रहें हैं। शुरू से ही ये बाबा विवादों में रहा है जिस जमीन पर ये ट्रस्ट बना है वह भी एक महिला से हथियाई हुई बताई जाती है। स्वामी दयानंद पर वीभत्स टिप्पणी करने से आर्यसमाजी लोगो के क्रोध के कारण कई झड़पें हुई जिस में बहुत से लोग मारे भी गए। वह मामला आज भी कोर्ट में चल रहा है। और विवाद बरक़रार हैं
अब इस पुरे वृतांत के बाद बाबा का चारित्रिक विश्लेषण आवश्यक है। वह ये की कबीरदास जी एक महान संत थे और वह खुद को किसी भी धर्म से नहीं जोड़ते थे। उनका अवतार होने का मतलब आदर ,प्रेम, अहिंसा और निश्चलता का जीवन जीना । उनके दोहों को आप जब भी पढ़ेंगे तब - तब आप उनकी महान सोच की दाद देने से खुद को नहीं रोक पाएंगे। ऐसे महान संत का ये अवतार जो की हत्या और जालसाजी के आरोप में खुद को जमीदोज कर के बैठा हैं। और फिर लोगों को क्या हो गया है ? ये सोचना ज्यादा जरूरी हैं। ये इतने ताकतवर इस लिए बनते हैं क्योंकि इनके पीछे इतनी बड़ी संख्या में समर्थक जो खड़े रहते हैं। इनके गलत को सही और कथन को आशीर्वाद बनाने के लिए समर्थक अपना सब कुछ देने को तयार जो रहते हैं। ये आखिर क्यों नहीं समझ में आता की हमारी तरह ही सोने खाने पीने उठने बैठने वाला व्यक्ति भगवान कैसे हो सकता हैं ? अच्छी बाते और ज्ञान के लिए ऐसे भ्रष्ट गुरुओं की दरकार नहीं हैं। ये ज्ञान आप को बुजुर्ग, माता , पिता या अच्छी पुस्तकों से भी मिल सकता हैं। उन्हें अपना गुरु मान लेना जो खुद के आचरण को भी नहीं संभाल सकते वह आप को क्या सही राह दिखाएंगे। अब खुद ही ये निर्णय ले कर चेतना होगा की इन बाबाओं के जाल से निकल कर कुछ सार्थक प्रयास करें जो वाकई सोच और जीवन दोनों को बदल सकें। इन सब से तो बेहतर श्री श्री रविशंकर जी की आर्ट ऑफ़ लिविंग कक्षाएं है जिस में जीवन की तमाम परेशानियों को कैसे हँसते हँसते खत्म किया जाए ये सिखाया जाता है। कैसे ज्यादा तनाव में न आकर जीवन को खुश होकर जिया जाए। रोजमर्रा की उलझनों को कैसे चुटकियों में एक चुनौती में बदला जाए। ये सीखने योग्य बातें है जिन से जीवन बेहतर बन सके न की इन बाबाओं के चक्कर में भगवान को पाने की आस में धोबी के कुत्ते बन जाओ घर के रहो ना घाट के। …………।
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