.jpg)
चलो एक बार मन को मार कर देखें ................ क्या आप ने कभी ये सोचा है ? जरूर सोचा होगा एक सामान्य से उदाहरण से इसे समझिए कि जब कभी आप बाजार गए और कोई बहुत अच्छी ड्रेस देखी पर आप की खर्च की सीमा से बाहर, तब यकीनन आप ने मन मार कर किनारा कर लिया होगा। आप माने या न माने ये मन ही सारे झगड़ों की जड़ हैं। जिस दिन इस ने संयम में रहना सीख लिया सब कुछ अच्छा होने लगेगा। ऐसा सत्य है , आप आजमा कर देखिए। इतनी कोशिशें आप करते होंगे खुद को सुधारने के लिए पर क्या कभी आप ने मन को मारने की कोशिश पर ध्यान दिया । जो कुछ भी गलत या अनुचित होता है उस का जिम्मेदार ये मन ही हैं। सबसे पहले ये मन ही उस कार्य को करने के लिए उकसाता है। अच्छे बुरे सभी परिणामों को जानते समझते भी ये मन सिर्फ उसके उजले पक्ष को ही आगे रखने का कार्य करता है जिस के कारण उस के दुष्परिणाम हम कुछ समय के लिये भूल जाते हैं। और उस कार्य को करने के बाद हमें पछतावा होने लगता हैं। इस लिए क्या जरूरी है कि पहले हो मन को मारना सीखें। जिस से बाद में कोई ग्लानि न हो। ये सारे गैरकानूनी कार्य ,अनैतिक कार्य या सभी तरह के प्रतिद्वेष सब मन की ही उपज है। और इस का एक ही इलाज है कि मन को काबू करना सीखा जाये। अब मन को काबू में रखने के तरीके पर गौर करें। सबसे पहले तो जब कभी भी मन कुलांचें मारे उसे वहां से हटा कर कही और लगाने का प्रयास करें। उसके लिए बहुत से अच्छे उपाए है जैसे बाजार से खरीदारी , रसोई में कुछ नया पकाने का अभ्यास , इंटरनेट पर कुछ नया सर्च या आप की रूचि का कोई भी कार्य आदि। कोई गलत कार्य करने से तो बेहतर ही है की आप खरिदारी में पैसे उडा कर चलें आएं। किसी भी तरह मन को उस सोच से हटा कर आप खुद का और सब से बड़ा मन का साथ दे सकते हैं क्योंकि गलती की सजा मिलने पर ये मन ही सबसे ज्यांदा रोता है कि ऐसा क्यों किया।
ये मन की मार है की व्यक्ति अपने गलत कार्यों के आगे इतना बेबस हो जाता है कि उसे करने के दुष्परिणाम भी भूल जाता हैं। अपने बच्चे को अगर हम कुछ अच्छा सीखाना चाहते हैं तो उसे मन मारना सिखाइये जो कि उसके जीवन की दिशा बदल सकता है। कम खर्च, सादा जीवन , उच्च विचार , सभ्य शैली ,और व्यवस्थित व्यव्हार का मालिक बन जाएगा। समय के साथ अपने जरूरतों पर काबू करना आएगा , सही गलत के बीच के फर्क को समझ कर चुनाव करना आएगा ,और अपने आचरण को व्यवस्थित करना आ जायेगा। ये एक बड़ी उपलब्धि होगी आप की संतान के लीये। मन को मारने के और भी कई तरीके है जैसे योग और ध्यान प्रक्रिया ……इस के द्वारा आप उस स्थिति से उसे हटा सकते है जहाँ के लिए मन बाध्य कर रहा हैं। यदि यही स्थिति किसी छोटे बच्चे के साथ है तो उसे divert करने के लिए आप कोई कहानी सुना सकती हैं , उसका पसंदीदा कार्य उसके साथ करने की कोशिश करें , उसके साथ खेल के लिए राजी हो सकती है। एक समझदार व्यक्ति खुद ही एक बेहतर तरीके से मन को अलग दिशा दे सकता है। यह एक सार्थक सत्य है जिसे अपना कर व्यक्ति खुद को काफी हद तक संयमित रख सकता हैं। मन की रफ़्तार से ताल मिलाने वाला कभी भी संतुष्ट होकर जीवन नहीं जी सकता। इस लिए बेहतरी इसी में है की इसी की लगाम कस कर रखी जाये।
Comments
Post a Comment