भलाई से कही ज्यादा महत्वपूर्ण  स्वच्छ्ता …!

स्वच्छ भारत, एक कदम स्वछता की ओर ………… ये सिर्फ कहने और सुनने की बातें हैं।  बड़े से बड़े लोग भी इसे आगे बढ़ाने के लिए आगे भले ही आएं पर हम हिंदुस्तानी न तो बदल पायें है न ही बदलेंगे। इस से जुड़ा एक किस्सा सुने और तब सोचें की क्या सफाई के आगे  भलाई भी छोटी होती है ?अमेरिका के फ्लोरिडा शहर में एक 90 वर्षीय बुजुर्ग सज्जन अर्नाल्ड एबोर्ट करीब 10,000 भूखे लोगों को खाना  बाँट रहे थे अचानक कई पुलिस  वाले आये और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।  उन्होंने अपने अपराध के बारे में पूछा तो उत्तर मिला की लोगो को खाना क्यों खिलाया। जबकि अर्नाल्ड के अनुसार जीसस ने मानवता का पाठ  पढ़ा कर भूखों को खाना खिलाने का साहस दिया हैं।  ऐसे में ये गलत कैसे हुआ ? उन्हें इस अपराध के लिए 60 दिन की जेल और500 डॉलर ( तकरीबन 31 हज़ार ) जुरमाना किया गया। अब इस जुर्म के पीछे का सच जाने की ऐसा क्यों किया गया। अमेरिका के फोर्ट लॉडरडेल में एक नियम बनाया गया है की अगर कोई भूखें बेघरों को खाना खिलाना चाहता हैं तो उसे ये काम आवासीय इलाके से करीब 150 मीटर दूर करना होगा।  और फिर जहाँ खाना खिलाया जाए उस जमीन  के मालिक से इजाजत भी लेनी पड़ेगी। और सबसे बड़ी बात ये की जिन्हे भी खाना खिलाया जा रहा हैं उन्हें portable toilet की सुविधा मुहैया करवानी पड़ेगी। ये सब एक बड़ी गन्दगी से दूर रहने के रास्ते है जिसमें एक नेक काज को अपनाने के लिए भी कुछ सख्त नियम मानने होंगे। 
                    अब आप सोचे की भारत के मुकाबले विदेशों में इतनी सफाई क्यों नजर आती हैं ? क्योंकि वहाँ सख्ती का मतलब सख्ती ही है न की जान पहचान का फायदा , रिश्वत दे कर बरी होने का फायदा या अपन का क्या जाता है इस सोच का फायदा। ....... हम काम करते समय उसके आगे पीछे के फायदे नुकसान के बारे में कभी भी नहीं सोचते इसी लिए सही राह चुनने में गलती कर जाते हैं।  मोदी जी के इस मिशन की जितनी भी तारीफ की जाये कम है पर मोदी जी के हाथ में झाड़ू उठाने से पूरा हिंदुस्तान नहीं साफ़ हो सकता।  हमें अपने अपने  क्षेत्र के बारे में खुद ही सोचना होगा। सबसे पहले जो भला होता है वह सोच से होता हैं क्योंकि सोच ही आगे चल कर कार्य में तब्दील होती है।सोच बदलने के लिए हर  एक को अलग से प्रयास करने चाहिए। एक दिन हाथ में झाड़ू ले कर फोटो क्या खिचवा ली सोचा कि हम तो मशहूर हो गए अब बाकी बाद में देखा जाएगा। हर कही गंदगी फैली देख कर क्या आप की आत्मा नहीं दुखती क्योंकि कुत्ता भी अपने बैठने के स्थान को पूंछ से झाड़ कर बैठता है फिर हम अपने आस पास इतनी गंदगी कैसे बर्दाश्त कर लेते हैं। ये प्रश्न रोज खुद से पूछिये और फिर एक न एक दिन आप को इस का जवाब मिल ही जायेगा तब बदलेगी भारत की तस्वीर  ……… 

Comments