सफलता का सत्य : मन की आवाज़

सफलता का सत्य , मन की आवाज………! 

टेलीविज़न के सोनी चैनेल पर एक कार्यक्रम आता है  क्राइम पेट्रोल , जिसमें एक बात एकदम सही कही जाती है  कि हर जुर्म एक दस्तक देता है और इस दस्तक को मन की आवाज ही सुन सकती है। यदि उस समय उस आवाज को सुन कर स्थिति को संभाल लिया जाए तो उस होने वाले जुर्म को रोक जा सकता है।  पर ऐसा होता नहीं और फिर बाद  में सिर्फ पछतावे के कुछ हाथ नहीं लगता। कहने का तातपर्य ये है की क्यों हम सही समय पर अपने मन की आवाज को नहीं सुनते ? अच्छा ,बुरा और उचित , अनुचित का भेद हो सकता है कि  समाज के नियमों के अनुसार निर्धारित किया जाता हो पर उसे करने या न करने का निर्णय हमारा ही होता है। और इसी निर्णय पर हमारा भविष्य टिका होता हैं। आप  के जीवन में भी ऐसे अनेकों क्षण आएं होंगे जब आप अशांत हों और किसी कार्य के लिए आप के मन में उहापहोह चल रही होगी और ये निर्णय लेना कठिन हो रहा   होगा की क्या करें , तब शांत हो कर अपने मन की आवाज सुने।  मन आप को सही और गलत दोनों ही पक्षों से वाकिफ करायेगा और फिर उसमें से चुनने का अधिकार भी देगा।  अब ये आप की काबिलियत पर निर्भर है की आप क्या चुनते हैं। समझदारी और सयम दोनों ही मन से उपजते हैं और उसे निभाया दिमाग के जरिये जाता हैं।  मैंने अपने ही एक पूर्व लेख में उदाहारण दिया था की किसी दुर्घटना स्थल पर घायलों की मदद करते समय यदि हम मन की आवाज सुन ले तो जिंदगियां बचाई जा सकती है।  पर उस समय हमारा दिमाग मन के ऊपर  हावी होकर बिना वजह पुलिसिया लफड़ों में फसने से रोकता है और हम कन्नी काट लेते हैं। ये एक शाश्वत सत्य है और इसी के चलते आज व्यवस्था इतनी worst होती जा रही हैं। 
        मन खुश रहना भी जानता हैं बशर्ते आप उसे खुश रहने दे, क्योंकि उसके ऊपर जिंदगी की तमाम मुश्किलों का पिटारा जो रख दिया है इस कारण जो enjoy करने वाले भी लम्हे होते है वह मुश्किलात के नीचे दब कर दम तोड़ देते हैं। ये महसूस करें की मन के खुश रहने से ही आप की सही मायनों में ख़ुशी संभव हैं। किसी अच्छे मौके पर मौजूद रहने के बाद भी आप उदास है क्योंकि आप का मन कही और उलझा है आप उस moment को enjoy नहीं कर पा रहें हैं। इस लिए मन को एक सही स्थान पर, सही स्थिति में , सही विचारों के साथ रखने का प्रयास करें फिर देखिये किस तरह परिस्थितियां आप के नियंत्रण में आती हैं। ये एक प्रयोग के तौर पर अपनाये और देखें की सही मायनों में आप का मन आप का ही साथ देगा। कहते है की मन के हारे हार है  जीत .......... ये ऐसे ही नहीं कहा गया।  जब भी कोई ये सोच ले की ये तो वह कर ही नहीं सकता उसकी हार निश्चित है पर जब उसे करने का मन बना लेता है तो रस्ते तलाशते हुए वह मंजिल तक पहुँचाने का अथक  प्रयास करने लगता है। वह प्रयास उसे सफल नहीं बनाता बल्कि उसके मन के जीत उसे सफल बनती है क्योंकि जीतने का जज्बा उसे प्रयास करते रहने के लिए उकसाता रहता हैं। आगे से जब भी कभी किसी विकट  परिस्थिति में उलझ जाएँ तो मन की जरूर सुनें।  हो सकता है की परिणाम मनमाफ़िक आ जाये और इच्छा पूरी हो जाएँ। मन को व्यवस्थित रखने का अर्थ अपने विचारों को नियंत्रित रखना होता हैं।  और अच्छे विचार सदा ही विजय का मार्ग दिखाते हैं ………… 

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