खुशियों का साथ दे कर उन्हें रंगीन बनायें…………!

क्या कभी आप को ऐसा लगता है की हम अपनी जिंदगी को खुल के और खुश हो कर नहीं जी पा रहें है।  इस का कारण जीवन की रोजमर्रा की छोटी छोटी उलझनें है जिन के चक्करों में फंस कर हम enjoy करना भूल जाते हैं। परिवार के साथ समय गुजरने की क्या ख़ुशी हैं ये भी हम नहीं महसूस कर पाते। इस मामले में मैंने ये महसूस किया है कि विदेशों में तमाम जिम्मेदारियों को निभाते हुए भी जीवन को खुश हो कर जीने का तरीका आता हैं। इसी का एक छोटा सा उदाहरण आज के समाचारपत्र में देखा। जापान के टोक्यो में छोटे babies के लिए 4 मीटर लम्बी race आयोजित की गयी जिसमे छोटे छोटे तमाम बच्चों ने अपनी माँ के साथ आ कर भाग लिया।  और घुटने चल कर या घिसटते हुए अपना target पूरा किया और सब ने इस moment को खूब एन्जॉय किया। आप खुद imagine करिये कि cute से babies crawl करते हुए race में भाग ले रहें  हो तो उनकी activities कितनी प्यारी होंगी।  इसे कहते है खुल के जीना , जो हम भारतीयों खासकर मध्यमवर्ग भारतीयों को तो बिलकुल नहीं आता।   हम अपनी रोटी पानी और घर गृहस्थी के मामलों में इस कदर उलझे रहते हैं कुछ दूसरा सोचने और करने के लिए समय ही नहीं निकल पाते। अगर सोचे तो बहुत छोटे छोटे moments   भी ढेरों खुशियां ले कर आते हैं पर उन्हें हमें महसूस तो करना आना चाहिए। समय तो हमें ही निकालना होगा और यदि ऐसा नहीं भी कर पा  रहें हो तो कम से कम  ये तो कर सकते हैं की जो moments  खुद चलकर आ रहें हो  उन्हें हाथ से न निकलने दिया जाए। उनके लिए थोड़ा time निकल कर उन्हें enjoy करें और खुशियां लूटें। बच्चों का बचपन उनके साथ हमें भी जीवन में ढेरों खुशियां देते हैं उनकी भोली हरकतें उनका तुतला कर बोलना और रोज नई शरारत एक नया पहलु दिखाती हैं।  जिसे जीए और  महसूस करें। हम अपने व्यस्त जीवन में जो कुछ भूल चूकें  हैं उसे अपने बच्चो या उनके दिए moments के जरिये जीयें। कोई जरूरी नहीं की खूब ढेर सारा पैसा खर्च कर के ही आप खुशियां खरीद पाओगे।  अपने मन को थोड़ा शांत कर के आस पास महसूस तो करों खुशिया तुम्हारे करीब ही हैं।  उन्हें भी आप की जरूरत हैं क्योंकि वह भी तो आप के साथ के बिना बेरंग हैं। वह भी आप के साथ मिल कर मौज मस्ती  करना चाहती है। उनका अकेलापन आप के साथ से दूर होगा।    

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