सोच और धर्मान्धता का चक्रव्यूह ……! 

कल हमने जिस विषय पर चर्चा की थी उसे ही आगे बढ़ाते हुए इस बात पर ध्यान दिया जाए की ऐसा क्यों होता है ? क्यों जनता इन बाबाओं के चक्कर में फस कर अपन सब कुछ देने को तैयार हो जाती हैं और ये बाबा बाद में उस जनता को दोषी बनाने लगते हैं जैसा की रामपाल ने किया।  खुद को अंदर सुरक्षित रखने वाले रामपाल ने ये बयान  दिया की समर्थकों ने उसे बंदी बना कर रखा था इसी कारण  वह पुलिस के सामने समर्पण नही कर पाया।  ये उनको समर्थन करने वालों के लिए एक तमाचे की तरह है की जिसे वह protect कर रहे थे वही उन पर बंदी बनाने का आरोप लगा  रहा है।
          इस विषय पर गहनता से सोचने पर कुछ निष्कर्ष निकले जा सकते हैं। .......... पहला ये कि भारत की कुल आबादी का करीब 36 से 37 करोड़ तबका गरीब है।  और ये इन बाबाओं से कुछ ऐसे चमत्कार की उम्मीद करते है जिन से उनका जीवन सुधर जाए। ये बाबा भी उनकी इस कमजोरी का फायदा उठाने से पीछे नहीं हटते और उन्हें लगातार बिना मेहनत के अमीर बनने का लालच देते रहते हैं। दूसरा कारण है की आबादी का करीब 28 से 30 % तबका अनपढ़ है और उन्हें जो भी आसानी से अपने झांसे में ले लेता है वह उसी के मुरीद  हो जाते हैं। जो भी पढ़ा लिखा नहीं है वह किसी पढ़े लिखे को उसी के समझाए तरीके से समझता हैं। और यही ये बाबा बखूबी जानते हैं। एक अनपढ़ को किस तरह बहला फुसला कर ये विश्वास दिला देना की हम ही तुम्हारे भगवान है और हम ही तुम्हारी आज की और आगे की स्थिति सुधार सकते हैं। तीसरा कारण है की  हर तीसरा बंदा बेरोजगार है जिसे अपनी स्थिति सुधारनी है और बिना ज्यादा परिश्रम के एक नयी उंचाई पर  पहुंचना हैं।  अपनी इच्छा से या परिस्थितिवश बिना काम के रहने वाला व्यक्ति अपने सपने पुरे करने के लिए कोई shortcut ढूंढने का प्रयास करता है।  और यही पर इन बाबाओं का कमाल रंग लाता है जो छलावे दे कर इन्हे फंसा लेते है।  और सपने पुरे करने के लिए खुद को माध्यमं बताने लगते हैं।  चौथा कारण है कि भारत में आत्महत्या की दर सबसे ज्यादा है , ये इस लिए कि यहाँ परिस्थिति के दबाव में आकर जीवन से हार जाने वाले काफी हैं।  और यही से इन बाबाओं का रोल प्रारम्भ होता है जो उन्हें उनकी कठिन परिस्थितियों से निकलने का रास्ता सुझाने लगते हैं। ये रास्ता उनकी भक्ति और लेन देन से जुड़ा होता है। खुद से कोशिश कर के मुश्किलों से निकलने के बजाये लोग इन बाबाओं से मार्ग पूछने लगते हैं और फिर प्रारम्भ होता है एक अनवरत जाल में फसने का सिलसिला।  अब पांचवा  कारण है की भारत में कुल आबादी का 36 % पूरी तरह depression का शिकार है।  वह अपनी स्थिति से, अपने काम से, अपने परिवार से या अपने वातावरण से असंतुष्ट है। किसी भी कारण से असंतुष्ट होना उन्हें कुछ नया करने को बाध्य करता है और नया करने का रास्ता ये बाबा ही दिखाते हैं। ये ऐसे ही लोगो को अपना शिकार बनाते हैं जो परेशान है और अपनी स्थिति बेहतर बनाना चाहते हैं। उन्हें सुनहरे सपने दिखना और उनसे उनकी कीमत वसूलना ही इनका पेशा होता है। छठा कारण है भारत में धर्मान्धता , जो की अनेकों बुराइयों की जड़ है। लोग धर्म के नाम पर कभी भी, कैसे भी ,और कुछ भी करने के लिए तैयार बैठे रहते हैं। यही धर्म उन्हें मजबूत बनाने के बजाए कमजोर करता है। धर्म के नाम पर मंदिरों का चंदा , धर्म के नाम पर साधु संतों की पूजा , धर्म के नाम पर समाज को समुदायों में बांटना ये सब आम हो गया है। और यही  समस्याओं की जड़ हैं। 
                         ये कुछ विश्लेषण था की कौन से कारण जिम्मेदार है पर इन सब से जरूरी है हमारी सोच , जो पढ़ने या अनपढ़ रहने से कही उपर हैं।  क्या अनपढ़ व्यक्ति ये नहीं सोच सकता कि अमुक व्यक्ति उसे ठग रहा है।  या ये गलत रास्ता है। समाज में रहकर भी सही गलत की पहचान हो ही जाती है इस लिए इन बाबाओं के चक्कर से दूर रहकर खुद ही अच्छे विचारों का साथ पकड़ना चाहिए सब भला ही होगा...................    
                                                                    

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