Mindedness का रिश्ता
Mindedness का रिश्ता : *********************
यूँ तो हमारे आसपास बहुतेरे लोग होते हैं । कुछ दोस्त, कुछ रिश्तेदार, कुछ पड़ोसी, कुछ सहकर्मी, कुछ परिवारजन। और सबसे हमारा जुड़ाव भी होता है। तनिक सा ही सही पर हम सभी से राब्ता रखते हैं। और ये इसलिए चलता है कि उन्हें भी हमारी थोड़ी बहुत जरूरत होती है। बस जरूरतों के आधार पर सम्बंध चलते रहते हैं।
पर क्या कोई जिंदगी में ऐसा है जो mindedness के जरिये जुड़ा हो.. ? ? ये एक विचार है जो रिश्तों की पहचान बनाता है। इसे समझने के लिए अपने प्रति सामने वाले का पूरा नजरिया समझना होगा।
कभी काम करते करते अचानक प्यास का अहसास होए और कोई अपना पानी का गिलास सामने रखकर कहे मैनें सोचा शायद तुम्हें प्यास लग रही हो। कभी काम करते करते अचानक थकान सी महसूस हो रही हो और कोई अपना पीछे से आकर थोड़ी सी सर की और कंधों की मालिश कर दे। कभी मन बहुत खराब हो रहा हो और कोई इसे समझकर थोड़ी चुहलबाज़ी से माहौल बदलने की कोशिश करे। कभी जब घुटन सी महसूस हो रही हो तो कोई हो जो आकर हाथ पकड़ कर कहीं खुले में ले जाये।
ऐसे बहुत से moments के examples दिए जा सकते हैं पर जब ये बिना कहे कुछ व्यक्त किये किया जाए तो इसे ही mindedness कहते हैं। ये mindedness वो connection है जो हमारे प्रिय से जुड़ी हुई होती है। उनकी अंदर की feelings और जरूरतों को अगर बिन कहे समझा जा रहा तो मान सकते हैं कि ये mindedness full relation है। और अगर जिंदगी में कोई भी ऐसा है तो हमें उसकी कद्र खुद से ज्यादा करनी चाहिए।
जो बिना बोले बहुत कुछ समझ रहा हो। जो ज़रूरत ना महसूस होने पर भी जरूरतें पूरी कर रहा हो। जो थोड़ी सी खुशी के लिए छोटे छोटे efforts करने की कोशिशें कर रहा हो। जो body language को पहचानता हो। जो mood swings को समझकर उसे stable करने की तकनीक जानता हो। वही शायद सच्चा अपना है। और उसे अपने करीब बनाये रखने की कोशिशों में कभी कमी नहीं होनी चाहिए। कमजोर क्षणों में जो मजबूती से हमें थामे रहता हो। बहुत नन्हे प्रयासों से उसकी जिंदगी में हमारी जगह का अहसास जो कराए वही अपना है।
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