Negetivity Bias
Negativity Bias :
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Negativity अर्थात उम्मीद या किसी स्थिति, व्यक्ति या घटना के होने का अंदेशा। अमूमन हमारा दिमाग अच्छी और बुरी चीजों को छांट कर चुनने की काबिलियत रखता है। लेकिन ये काबिलियत हमारे दिमाग और मन के चुनाव पर निर्भर करता है। होता ये है कि इंसान अच्छी यादों को तो भूल जाता है पर अगर कभी किसी ने कोई दिल दुखाने की बात कर दी हो तो वह हमेशा याद रहती हैं। ये ही है मस्तिष्क का negativity bias...जब मन या दिमाग सिर्फ़ तकलीफ़ और बुरी चीजों की यादें store करता है। वो अच्छी यादों का अंदाजा नहीं रखना चाहता। बल्कि स्थितियों को पहले बुरे नज़रिए से देखता है फिर बाद में उसकी अच्छाइयों पर गौर करता है।
मातापिता का प्यार और सहयोगपूर्ण व्यवहार , दोस्तों की मदद और साथ ऐसा बहुत कुछ है जो भूल जाते हैं। पर उनकी एक बार की डांट और लड़ाई याद रह जाती है। जो बहुत लंबे समय तक मन में गांठ बनकर पड़ी रहती है।
इस का एक अहम कारण है। वह है मानव मस्तिष्क की अनिश्चितता को महसूस करने की ताकत। कभी कभी ये भी कहते हैं कि किसी व्यक्ति स्थिति या परिणाम का सकारात्मक अंदाजा पहले से नहीं लगा लेना चाहिए। क्योंकि मन बना लेने के बाद अगर किस्मत से सकारात्मक परिणाम नहीं मिले तो मन दुःखी होता है। बाद में अगर अच्छा ना भी हुआ तो उम्मीद टूटती है।
यही असल मायनों में negetivity bias है कि इंसान का मस्तिष्क पहले बुरा सोचे उसे याद रखे। फिर बाद में परिणाम सकारात्मक भी आये तो दुहरी खुशी मिलेगी।
ये negetivity bias आदिमकाल से चला आ रहा। उस समय जब इंसान जंगलों में रहता है। अपने जीने के लिए जुगाड़ो के भरोसे रहता था। तब वह हर चीज़ पर आंख बंद करके भरोसा नहीं करता था। जैसे अगर कोई खतरनाक जानवर सामने हो तो वह उसे प्यार भरी नजरों से नहीं देखेगा। अर्थात उस संमय वह positive नहीं सोचेगा। बल्कि उसे संदेहजनक समझ कर खुद को तैयार करेगा। इसी तरह कोई विपरीत परिस्थिति में वह जुगाड़ ढूंढकर जीने की वजहँ बनाएगा।
ये मस्तिष्क में मनुष्य के बनने के साथ ही ईश्वर ने गुण भर दिया। इसी वजह से वो लंबा जी भी सकता है और परिस्थितियों से जूझ भी सकता है। negetivity bias भी एक तरह का गुण है जो मनुष्य को सचेत, कर्मठ और जूझारू बनाता है।
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