कुदरत का चमत्कार ,प्रत्यारोपित कोख से जन्मा बच्चा ……! 

यूँ कहा जाए कि कुदरत से बड़ा कोई नहीं तो ये सही ही है। कुदरत इस सृष्टि की सारी क्रियाओं और कर्ताओं को   नियंत्रित  कर रही है। हमारे सोचने या करने से पहले प्रकृति या कुदरत सब कुछ तय कर लेती हैं। परन्तु एक डॉक्टर ही है जिसे कुदरत के नियमों से जूझते और उसके बिगड़े को बनाते देखा जा सकता है। स्वीडन की एक ज्वलंत घटना ने ये साबित कर दिया की कुदरत की दी कमी को डॉक्टर ने पूरा कर दिया। घटना कुछ यूँ है की एक महिला जो कि गर्भाशय से संबन्धित एक गंभीर रोग से पीड़ित थी जिस कारण उसका गर्भाशय निकलना पड़ा।  अब वह कभी भी माँ नहीं बन सकती। अंग प्रत्यारोपण प्रक्रिया के तहत गर्भाशय प्रत्यारोपण के भी कई प्रयास आजमाए जा चुके है जो की शरीर ने अस्वीकार कर दिया। इस लिए उम्मीद न के बराबर ही थी। फिर भी उस 36 वर्ष की महिला को 61 वर्ष की महिला ने अपना गर्भाशय दान दिया और ये चमत्कार ही था की उसका गर्भाशय उस पीड़ित महिला के शरीर ने स्वीकार कर लिया। जब की सबसे आश्चर्य की बात ये है कि उस 61 वर्ष वाली महिला के मीनोपॉज की स्थिति आ चुकी थी अर्थात उसका मासिक  बंद हो चूका था और वह गर्भधारण की स्थिति से दूर जा चुकी थी। ऐसे में उसके गर्भ से किसी दूसरी महिला ने एक शिशु को जन्म दिया ये चमत्कार ही है। स्वीडन में पैदा हुआ ये बच्चा 1.8  किलो का है और माँ और बच्चा दोनों ही स्वस्थ हैं। बच्चे का नाम विंसेट रखा गया है जिस का अर्थ जितने के लिए होता है। 10 घंटे चले इस ऑपरेशन में 6 हफ्ते पहले से दवाइयों के जरिये  कोख को तैयार किया जा रहा था। और इस ऑपरेशन के 6  माह बाद ही पीड़ित महिला को सामान्य रूप से मासिक आना प्रारम्भ हो गया जो की एक अच्छा चिंन्ह था। अब महिला के अंडाणु और पति के शुक्राणु को बाहर प्रयोगशाला में मेल करवाया गया और कोख कर तैयार हो जाने पर उसे उस में प्रत्यारोपित कर दिया गया। 31 हफ्ते यानि तकरीबन 8 माह तक बच्चे का विकास सामान्य गति से होता रहा। परन्तु इस के बाद महिला के रक्त प्रवाह में समस्या आने के कारण ऑपरेशन से बच्चे का जन्म करवाया गया। 
                   यह पूरी घटना उन महिलाओं के लिया वरदान से कम नहीं जो गर्भाशय के किसी भी रोग से पीड़ित है और जीवन भर माँ बनने के सुख से वंचित रहने के बारे में सोचती हैं। अभी कुछ दिनों पहले ही हमने अंगदान के बारे में चर्चा की थी। जो की किसी अन्य की जिंदगी की दशा बदल सकता है। ये भी उन्ही में से एक है। ये एक अच्छा प्रमाण है की एक महिला जो की मेनोपॉज की स्थिति में आ चुकी है उसका गर्भाशय भी बेकार नहीं होता। ये साबित कर डॉक्टर ने एक नयी उम्मीद की किरण जगा दी है।हालांकि पहले भी इस तरह के कई प्रयास हुए थे जो की सफल नहीं हुए पर डॉक्टरों के प्रयास और प्रकृति के साथ ने इस सफलता का इतिहास रच दिया। अब वह सारी महिलाऐं माँ बनने का सुख उठा सकती हैं , जो निराश हो चुकी है। डॉक्टर भगवान का ही दूसरा रूप है। और उस पर भरोसा हमें बड़ी से बड़ी खुशिया दे सकता है।     

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