प्रशंसा और प्रोत्साहन से मजबूत होते रिश्ते !
एक अनुभव आप के साथ बांटना चाहती हूँ। और महसूस करती हूँ कि आप भी उसे सही ही मानेंगे। व्यक्ति की इच्छाओं का अंत नहीं रोज एक नयी वस्तु की इच्छा जागृत हो जाती है। और आप या मैं उसे अपने सामर्थ्यानुसार खरीद भी लाते हैं। खरीदने के बाद हम उस के बारे में दूसरों की राय लेने और उनसे ये सुनना पसंद करते हैं की आप का चुनाव अच्छा है और एक बेहतर वस्तु लाएं हैं। ये एक आम भावना है की आप की पसंद की सब तारीफ करें पर क्या हम ऐसा करते हैं ? किसी भी वस्तु व्यक्ति परिस्थिति के बारे में सबकी राय भिन्न भिन्न हो सकती है और जरूरी नहीं की दो व्यक्ति एक दूसरे की राय से सहमत भी हों। परन्तु ये नुस्खा तब सफल नहीं होता जब इस से किसी की भावनाओं को चोट लगती है। मान लीजिये की आप का कोई परिचित आप को कोई वस्तु दिखाता है या खरीदे जाने वाली वस्तु के बारे में आपकी राय जानना चाहता है तो ऐसे में आप को क्या करना चाहिए ? आप को उस खरीदी गयी वस्तु की तारीफ कर के उसे ख़ुशी देनी चाहिए। ये सोचिये की उस वस्तु का प्रयोग उसे करना है , उस वस्तु को खरीदने का मूल्य भी उस व्यक्ति ने ही चुकाया है और संतुष्टि भी उसे ही मिल रही है ऐसे में यदि आप उस वस्तु के बारे में अपनी राय नकारात्मक देंगे तो सिर्फ बुरा बनने के और कुछ हांसिल नहीं होगा। यदि आप उस की खरीदारी से सहमत न भी हो तो भी अपनी राय को सकारात्मक बना कर आप उस व्यक्ति के चहेते बन सकते है क्योंकि इस से उस व्यक्ति को ये आभास होगा की यकीनन हम दोनों की पसंद मिलती जुलती हैं। और फिर उस का विश्वास बनने के बाद वह आप की राय को अहमियत देने लगेगा। ये एक universal fact है कि जब भी आप किसी के विरोध में होंगे तो आप की नकारात्मकता संबंधों को ख़त्म कर सकती हैं।
ये एक simple सा logic है कि हजारों वस्तुओं के चुनाव में सब की पसंद का एक होना असंभव हैं। और हर कोई अपनी जरूरतों के लिए अपने budget पर निर्भर करता है हो सकता है की जिस product को आप पसंद करते हो वह सामने वाले की range से बाहर हो और वह उसी का कोई substitute ले कर आया हों। या उसने अपने खर्च के अनुसार अपनी जरूरत भी बदल दी हो। ऐसे में सबसे उत्तम तरीका ये है कि वह जो भी दिखाए उसे सहर्ष स्वीकार कर उसे appreciate करें। इस से दो फायदे होंगे। पहला ये की आप का चुनाव क्षेत्र का विस्तार होगा और नए options के दरवाजे खुलेंगे। दूसरा ये की सामने वाले का आप पर विश्वास और मजबूत होगा। कभी कभी बहुत छोटी छोटी सी बातें किसी रिश्ते की नीवं को मजबूत करने के लिए काफी होतीं है ये सोचिये की बिना कोई पैसा खर्च किये सिर्फ तारीफ की बदौलत किसी का दिल कैसे खुश किया जाए। जिस वस्तु को आप को प्रयोग नहीं करना, रोज रोज देखना भी नहीं और जिस के लिए आप की जेब से एक रुपया भी खर्च न हुआ उस की प्रशंसा में कंजूसी न करें नहीं तो सामने वाला जो उसे ले कर आया है उसका भी अपनी वस्तु से मन खट्टा हो सकता है और ये उस वस्तु की बेकद्री ही हुई। जिस से उस का खर्च किया धन बेकार हो गया। प्रशंसा एक ऐसा धन है जो खर्च करने पर और बहुत कुछ बदले में दे जाता हैं। इस लिए तारीफ करने में दिल खोल दें और दूसरों के भी पसंदीदा बने।
एक अनुभव आप के साथ बांटना चाहती हूँ। और महसूस करती हूँ कि आप भी उसे सही ही मानेंगे। व्यक्ति की इच्छाओं का अंत नहीं रोज एक नयी वस्तु की इच्छा जागृत हो जाती है। और आप या मैं उसे अपने सामर्थ्यानुसार खरीद भी लाते हैं। खरीदने के बाद हम उस के बारे में दूसरों की राय लेने और उनसे ये सुनना पसंद करते हैं की आप का चुनाव अच्छा है और एक बेहतर वस्तु लाएं हैं। ये एक आम भावना है की आप की पसंद की सब तारीफ करें पर क्या हम ऐसा करते हैं ? किसी भी वस्तु व्यक्ति परिस्थिति के बारे में सबकी राय भिन्न भिन्न हो सकती है और जरूरी नहीं की दो व्यक्ति एक दूसरे की राय से सहमत भी हों। परन्तु ये नुस्खा तब सफल नहीं होता जब इस से किसी की भावनाओं को चोट लगती है। मान लीजिये की आप का कोई परिचित आप को कोई वस्तु दिखाता है या खरीदे जाने वाली वस्तु के बारे में आपकी राय जानना चाहता है तो ऐसे में आप को क्या करना चाहिए ? आप को उस खरीदी गयी वस्तु की तारीफ कर के उसे ख़ुशी देनी चाहिए। ये सोचिये की उस वस्तु का प्रयोग उसे करना है , उस वस्तु को खरीदने का मूल्य भी उस व्यक्ति ने ही चुकाया है और संतुष्टि भी उसे ही मिल रही है ऐसे में यदि आप उस वस्तु के बारे में अपनी राय नकारात्मक देंगे तो सिर्फ बुरा बनने के और कुछ हांसिल नहीं होगा। यदि आप उस की खरीदारी से सहमत न भी हो तो भी अपनी राय को सकारात्मक बना कर आप उस व्यक्ति के चहेते बन सकते है क्योंकि इस से उस व्यक्ति को ये आभास होगा की यकीनन हम दोनों की पसंद मिलती जुलती हैं। और फिर उस का विश्वास बनने के बाद वह आप की राय को अहमियत देने लगेगा। ये एक universal fact है कि जब भी आप किसी के विरोध में होंगे तो आप की नकारात्मकता संबंधों को ख़त्म कर सकती हैं।
ये एक simple सा logic है कि हजारों वस्तुओं के चुनाव में सब की पसंद का एक होना असंभव हैं। और हर कोई अपनी जरूरतों के लिए अपने budget पर निर्भर करता है हो सकता है की जिस product को आप पसंद करते हो वह सामने वाले की range से बाहर हो और वह उसी का कोई substitute ले कर आया हों। या उसने अपने खर्च के अनुसार अपनी जरूरत भी बदल दी हो। ऐसे में सबसे उत्तम तरीका ये है कि वह जो भी दिखाए उसे सहर्ष स्वीकार कर उसे appreciate करें। इस से दो फायदे होंगे। पहला ये की आप का चुनाव क्षेत्र का विस्तार होगा और नए options के दरवाजे खुलेंगे। दूसरा ये की सामने वाले का आप पर विश्वास और मजबूत होगा। कभी कभी बहुत छोटी छोटी सी बातें किसी रिश्ते की नीवं को मजबूत करने के लिए काफी होतीं है ये सोचिये की बिना कोई पैसा खर्च किये सिर्फ तारीफ की बदौलत किसी का दिल कैसे खुश किया जाए। जिस वस्तु को आप को प्रयोग नहीं करना, रोज रोज देखना भी नहीं और जिस के लिए आप की जेब से एक रुपया भी खर्च न हुआ उस की प्रशंसा में कंजूसी न करें नहीं तो सामने वाला जो उसे ले कर आया है उसका भी अपनी वस्तु से मन खट्टा हो सकता है और ये उस वस्तु की बेकद्री ही हुई। जिस से उस का खर्च किया धन बेकार हो गया। प्रशंसा एक ऐसा धन है जो खर्च करने पर और बहुत कुछ बदले में दे जाता हैं। इस लिए तारीफ करने में दिल खोल दें और दूसरों के भी पसंदीदा बने।
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