अराजक तत्वों के आगे बेबस सरकारी सुविधाऐं !


सबसे पहले तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ कि विगत 2-4 दिनों से अपने regularity को बना कर नहीं रख पाई। कारण आप को बताना जरूरी समझती हूँ क्योंकि ये भी एक अहम मुद्दा है। जिस पर चर्चा कर के उसकी विसंगतियों पर ध्यान दिया जा सकता है।  हुआ यूँ कि हमारे रहवासीय क्षेत्र की टेलीफोन लाइन  रात को चोर काट कर ले गए और इसी  कारण सभी आस पास के क्षेत्र के टेलीफोन बंद हो गए जिस कारण ब्रॉड बैंड सर्विस भी प्रभावित हुई और इंटरनेट भी बंद हो गया। इसे दुरुस्त कर दुबारा चालू करने  में करीब 3 -4 दिन का समय लग गया। जिस कारण ये निरंतरता का नियम भंग हुआ। 
            अब विचारणीय विषय ये है कि सरकारी सेवाएं जिनके लिए हम कर चुकाते हैं उन का लाभ हम कैसे उठाएंगे  जब इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। समाज में अराजक तत्व रोजाना ही कुछ अनुचित करने का मार्ग ढूंढते रहते हैं और यदि इस से सामान्य जन जीवन प्रभावित होता हो तो इसे कानून व्यवस्था की खामी कहा जाएगा। इस तरह की घटनाओं का सीधा असर जनता के जीवन पर पड़ता है। जो भी अपने कार्यों के लिए नेट पर निर्भर है उनका ये दो या तीन दिन का नुकसान भारी होगा। जो भी जन जीवन से जुड़े लाभ या सुविधाएं हैं उनकी  रख रखाव और सुरक्षा की जिम्मेदारी उसी विभाग की होती है। जैसे आप ATM प्रयोग करते है तो उसके लिए पुलिस विभाग का सिपाही नहीं तैनात किया जाता बल्कि बैंक ही अपनी तरफ से एक गार्ड की निउक्ति करता है जो की पहरे पर रहता है। राजकीय सेवाओं के अंतर्गत कई सुविधाओं के जाल पूरे शहर में बिछे रहते हैं और उन को सुचारु रूप से सुविधाएं देते रहने के लिए उक्त विभाग द्वारा नियमित जांच प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। जिस से दुरूस्तगी और चोरी चकारी जैसे मसलों पर आसानी से नियंत्रण लगाया जा सकता हैं। ये सरकारी उपक्रम  की लापरवाही ही कहिये की एक बार system लगाने के बाद वह उसे जनता के भरोसे छोड़ कर बैठ जाते हैं। और सबसे बड़ी ये बात कि परिवाद या शिकायत को इतने हलके से लिए जाता है जैसे उस का मालिकाना हक़ उन अधिकारीयों का ही है जो शिकायत सुनने के लिए बैठाये गया हैं। समस्या यहीं आती है जब किसी सरकारी समस्या को लेकर अधिकारिओं के कार्यालय के चक्कर लगाओ और वह बड़ी आसानी से दुबारा आने को कह कर टालने लगते हैं। हमारे ही चुकाए कर से हमें ही मिलने वाली सुविधाओं  के लिए हमें इन अधिकारिओं के आगे लगभग भीख सी ही मांगनी पड़ती है। ये गलत है पर आम है। 
                                              आप इन सुविधाओं के लिए पूरी कीमत चूका कर भी हो सकता हैं की निर्विरोध उपभोग का लाभ न ले पाएं। इस लिए असामाजिक तत्वों से लड़ने के लिए एक मजबूत system की जरूरत है।  और इसे चलाने के लिए एक मजबूत सरकारी तंत्र की। जिस से जनता जो भी कर चुकाती हो उस सभी से सुविधाओं का लाभ ले सके। और निश्चिन्त होकर अपनी समस्याओं के लिए सरकार की और देख सकें।      

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