काजल की कोठरी में काली हुई चमचमाती ईमानदारी ……!
ये भारत का दुर्भाग्य है कि एक चीज जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत है वही अब लोगो के मन और जीवन से जा रही है और जिस के भरोसे ही हम सारे जहाँ में अपनी अलग पहचान बना सकते है। किस बिना पर हम एक सुसमृद्ध, स्वच्छ, और सफल भारत बनाने की बात करते हैं जब की हम खुद ही अपनी इस सोच के प्रति प्रतिबद्ध नहीं हैं। वह महत्वपूर्ण चीज है ईमानदारी ……… सबसे पहले अगर कोई भाव हमें हमारे कार्यों कर प्रति निष्ठा रखने के लिए प्रेरित करता है वह है हमारी ईमानदारी। आज यही ईमानदारी अपना अस्तिव खो चुकी है। एक कहावत बनाई गयी है कि सौ में से निन्यानवे बेईमान फिर भी मेरा भारत महान ! क्या हो गया है कि हम न तो अपने कार्यों के प्रति और उस कार्य से फलीभूत हो रहे देश के प्रति सजग हो रहें हैं। सिर्फ कार्य इसलिए करना कि वह हमे पैसा दे रहा है और उसके परिणाम की अनदेखी करना सही नहीं है। रोज ही समाचार पत्रों में रिश्वत या घूस लेते अधिकारिओं के बारे में पढ़ने को मिलता है अच्छा नहीं लगता। ये जान कर तकलीफ होती है की गांधी जी और शास्त्री जी जैसे लोगों की धरती पर आज अपना स्वायत्त इतना महत्वपूर्ण हो गया है कि उसके आगे देश के प्रति समर्पण की भावना मर सी गयी है। हर कही भ्रष्टाचार और अराजकता का बोलबाला है। सरकारें भी अपने कोष भरने के लिए सिर्फ नाम की योजनाएं चला कर जनता को बेवकूफ बनाती हैं। आप किसी भी महकमे को देख लें हर जगह सिर्फ पैसे की ही दरकार है आप जितना पैसा खर्च करने की क्षमता रखते है उसी अनुसार आप को सहूलियतें भी मिलेगी। आखिर ये क्या हो रहा है ? अगर निन्यानवे बेईमान है तो उसमे एक ईमानदार क्या कर सकता है ? एक न एक दिन काजल की कोठरी में उसे भी काला कर दिया जाएगा और तब उसे ये एहसास होगा कि उसने इतने दिन बेकार ही ईमानदारी से अपने कार्य को अंजाम दिया। ऐसा नहीं कि भारत में ईमानदारों की कमी हैं पर पहले तो उनकी गिनती कम है दूसरा उनकी ईमानदारी को appreciate नहीं किया जाता जिस से उनका हौसला टूटता है और वह भी उसी धारा में बहने लगते हैं।
चलिए एक बार फिर एक छोटा सा प्रण अपने आप से करते हैं कि हम अपने बारें में सोचते हुए एक बार उससे जुड़े देश के भी प्रभाव को भी महत्व देंगे। ये बहुत छोटी सी कोशिश है। उदाहरण के लिए देखें कि अपने घर की सफाई ही कर रहें हो ,ये आप का खुद से जुड़ा कार्य है पर यदि आप कचरे का सही प्रबंधन करते है तो इसका प्रभाव आपके समाज और देश पर पड़ता है। अपने कार्यालय के कार्य को देश के लिए तरक्की में योगदान समझना न कि इस नजरिये से देखना की वह आप के घर चलाने का जरिया भर है। समाज में ऐसे अनेकों उदाहरण सामने आ जायेंगे जिन से आप की देश के प्रति प्रतिबद्धता स्पष्ट दिख जाती है और आप उन्हें बेहतर बना कर अपना नहीं बल्कि देश का भी सम्मान बढ़ा सकते हैं। सबसे पहले आप को खुद से सोचना होगा। तभी कुछ बदलेगा और कुछ नया और बेहतर सामने आएगा। ये सोचना होगा कि हम इसी देश का हिस्सा है और हमे ,हमारी आने वाली अनेकों पीढ़ियों को यही जीना है। इस लिए इसे गर्त में डाल कर या सोच से उस नीचा बना कर हम अपने ही नहीं बल्कि अपने बच्चो के लिए भी जीने का माहौल ख़राब कर रहें है। आप खुद महसूस करें की पहले के मुकाबले आज ईमानदारी ,वचनबद्धता ,प्रतिबद्धता और संयम में भारी कमी आई है। जिस का प्रभाव आप रोजमर्रा के जीवन में देख ही रहें होंगे। इस लिए अब इस नए वर्ष एक छोटा सा प्रण ये करेंगे की हम अपनी तरफ से ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिस से हमारी आत्मा गलत माने। ये तो सत्य है कि गलत आप समय के फेर में आ कर करते है आप की आत्मा गलत के लिए एक क्षण ही सही कचोटती जरूर होगी। इस लिए अब इस नव वर्ष के नवल प्रारम्भ में नव प्रभात के लिए एक नव निर्माण की नवल नींव डालेंगे। और फिर अंतर खुद महसूस करेंगे।
ये भारत का दुर्भाग्य है कि एक चीज जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत है वही अब लोगो के मन और जीवन से जा रही है और जिस के भरोसे ही हम सारे जहाँ में अपनी अलग पहचान बना सकते है। किस बिना पर हम एक सुसमृद्ध, स्वच्छ, और सफल भारत बनाने की बात करते हैं जब की हम खुद ही अपनी इस सोच के प्रति प्रतिबद्ध नहीं हैं। वह महत्वपूर्ण चीज है ईमानदारी ……… सबसे पहले अगर कोई भाव हमें हमारे कार्यों कर प्रति निष्ठा रखने के लिए प्रेरित करता है वह है हमारी ईमानदारी। आज यही ईमानदारी अपना अस्तिव खो चुकी है। एक कहावत बनाई गयी है कि सौ में से निन्यानवे बेईमान फिर भी मेरा भारत महान ! क्या हो गया है कि हम न तो अपने कार्यों के प्रति और उस कार्य से फलीभूत हो रहे देश के प्रति सजग हो रहें हैं। सिर्फ कार्य इसलिए करना कि वह हमे पैसा दे रहा है और उसके परिणाम की अनदेखी करना सही नहीं है। रोज ही समाचार पत्रों में रिश्वत या घूस लेते अधिकारिओं के बारे में पढ़ने को मिलता है अच्छा नहीं लगता। ये जान कर तकलीफ होती है की गांधी जी और शास्त्री जी जैसे लोगों की धरती पर आज अपना स्वायत्त इतना महत्वपूर्ण हो गया है कि उसके आगे देश के प्रति समर्पण की भावना मर सी गयी है। हर कही भ्रष्टाचार और अराजकता का बोलबाला है। सरकारें भी अपने कोष भरने के लिए सिर्फ नाम की योजनाएं चला कर जनता को बेवकूफ बनाती हैं। आप किसी भी महकमे को देख लें हर जगह सिर्फ पैसे की ही दरकार है आप जितना पैसा खर्च करने की क्षमता रखते है उसी अनुसार आप को सहूलियतें भी मिलेगी। आखिर ये क्या हो रहा है ? अगर निन्यानवे बेईमान है तो उसमे एक ईमानदार क्या कर सकता है ? एक न एक दिन काजल की कोठरी में उसे भी काला कर दिया जाएगा और तब उसे ये एहसास होगा कि उसने इतने दिन बेकार ही ईमानदारी से अपने कार्य को अंजाम दिया। ऐसा नहीं कि भारत में ईमानदारों की कमी हैं पर पहले तो उनकी गिनती कम है दूसरा उनकी ईमानदारी को appreciate नहीं किया जाता जिस से उनका हौसला टूटता है और वह भी उसी धारा में बहने लगते हैं।
चलिए एक बार फिर एक छोटा सा प्रण अपने आप से करते हैं कि हम अपने बारें में सोचते हुए एक बार उससे जुड़े देश के भी प्रभाव को भी महत्व देंगे। ये बहुत छोटी सी कोशिश है। उदाहरण के लिए देखें कि अपने घर की सफाई ही कर रहें हो ,ये आप का खुद से जुड़ा कार्य है पर यदि आप कचरे का सही प्रबंधन करते है तो इसका प्रभाव आपके समाज और देश पर पड़ता है। अपने कार्यालय के कार्य को देश के लिए तरक्की में योगदान समझना न कि इस नजरिये से देखना की वह आप के घर चलाने का जरिया भर है। समाज में ऐसे अनेकों उदाहरण सामने आ जायेंगे जिन से आप की देश के प्रति प्रतिबद्धता स्पष्ट दिख जाती है और आप उन्हें बेहतर बना कर अपना नहीं बल्कि देश का भी सम्मान बढ़ा सकते हैं। सबसे पहले आप को खुद से सोचना होगा। तभी कुछ बदलेगा और कुछ नया और बेहतर सामने आएगा। ये सोचना होगा कि हम इसी देश का हिस्सा है और हमे ,हमारी आने वाली अनेकों पीढ़ियों को यही जीना है। इस लिए इसे गर्त में डाल कर या सोच से उस नीचा बना कर हम अपने ही नहीं बल्कि अपने बच्चो के लिए भी जीने का माहौल ख़राब कर रहें है। आप खुद महसूस करें की पहले के मुकाबले आज ईमानदारी ,वचनबद्धता ,प्रतिबद्धता और संयम में भारी कमी आई है। जिस का प्रभाव आप रोजमर्रा के जीवन में देख ही रहें होंगे। इस लिए अब इस नए वर्ष एक छोटा सा प्रण ये करेंगे की हम अपनी तरफ से ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिस से हमारी आत्मा गलत माने। ये तो सत्य है कि गलत आप समय के फेर में आ कर करते है आप की आत्मा गलत के लिए एक क्षण ही सही कचोटती जरूर होगी। इस लिए अब इस नव वर्ष के नवल प्रारम्भ में नव प्रभात के लिए एक नव निर्माण की नवल नींव डालेंगे। और फिर अंतर खुद महसूस करेंगे।
Comments
Post a Comment