मन की खुराफ़ात ❤️
मन की खुराफ़ात...! ! 💞
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हिचकियाँ आने लगी हैं ...
शायद कोई याद करता है।
हमें खुश रखने के वास्ते..
"मन"ही ये खुराफ़ात करता है।
हम अकेले क्यों न हो खुद में..
यादों के मेले आबाद करता है।
भुलावे में रखने के वास्ते..
नए नए पैंतरे ईजाद करता है।
घुट न जाये हम यूँ ही घबरा के...
तो साँसों के साथ संवाद करता है।
हिचकी के बहाने दिल को फुसला कर ,
ये चुलबुला सा फसाद करता है।
मन की रसोई में रिश्तों की मिठास...
पकने की प्रक्रिया को सुस्वाद करता है।
साँस की नली में,हवा की तरह अटक कर
कोई तो याद करता,ये प्रतिवाद करता है।
हिचकियाँ आने लगी है ..
शायद कोई तो याद करता है ।
मन के इस भुलावे को हमारा दिल
हर हिचकी पर धन्यवाद करता है।
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