व्यवहार और सोच की परख ...!!
व्यवहार और सोच की परख ...!!
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इतना तो हम सब सामान्य ज्ञान द्वारा जानते समझते हैं कि ईश्वर द्वारा बनाई हर चीज़ में महसूस करने की शक्ति होती है। पेड़ पौधे जीव जंतु इंसान सभी संवेदनशील होते है। इसी क्रम में आज एक प्रयोग के द्वारा अपने व्यवहार की परख करते हैं । अपने करीब दो पौधे रखते हैं और उनकी सेवा सुश्रुसा करते हुए बस अपनी भावनाओं में अंतर करते है। एक को बोझ समझ कर पानी दें , खाद डालें , उसकी सफ़ाई करे । जबकि दूसरे के साथ आत्मीयता से लगाव रखते हुए उससे बातें करें उसे पुचकारे और सेवा करें । यह क्रम कुछ समय के लिए जारी रखें ...फिर स्वयं बदलाव देखें।
मेरे घर कुछ गमले रखें हुए है। उनमें फूल नहीं आ रहे और साथ ही वह खिल कर पनपते हुए नहीं दिख रहे थे। मैनें यही किया । रोज उनके पास बैठ कर उन्हें I love you बोलना शुरू किया। मुझे उनके साथ रहना अच्छा लगता है , ये उनको अहसास दिलाना शरू किया। उनकी जरूरतों का ख़याल बोझ समझ कर नहीं प्यार से रखना शुरू किया । परिणाम सामने दिखा। फूल खिलने लगे ,पेड़ हरे भरे घने दिखने लगे , उनमें जान सी दिखने लगी। ये मेरे व्यवहार के कारण ही फ़र्क़ आया ये मैनें महसूस किया। ये हमारे व्यवहार की सोच का परिणाम है। इसी तरह पालतू जानवर भी हमारे लगाव और दुत्कार को महसूस करते हैं। यह प्रक्रिया हमें दूसरों से जोड़ने और तोड़ने का कार्य करती है।
अब यही हम आपसी रिश्तों और लोगों के बीच रख कर सोचें। भले ही हम किसी से कितना भी जुड़े हों मिलते जुलते रहते हों पर यदि हम उनके बारे में अच्छे विचार नहीं रखते तो ये सोच का असर उन तक जरूर पहुँचेगा । और एक ना एक दिन वह रिश्ता ख़त्म हो जाएगा। ये इस लिए होगा क्योंकि हमारा जुड़ाव मन से नहीं सिर्फ तन से है। यही सोच धीरे धीरे उन्हें हमसे दूर करने लगती है। प्यार और लगाव तो पाला हुआ कुत्ता भी महसूस कर लेता है ये उसकी हिलती हुई पूंछ बता देती है। फ़िर इंसान के अंदर तो सोच और व्यवहार परखने की ताक़त सबसे ज्यादा है। इस लिए अगर रिश्ता खराब हो तो अपनी सोच का भी आँकलन किया जाए ना कि सिर्फ़ दूसरों को रिश्ता ना निभा पाने का उलाहना दिया जाए। यही सच है जो हमें समझ कर अपने इर्द गिर्द माहौल बनाना होगा। सब फले फूलेगा ।
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इतना तो हम सब सामान्य ज्ञान द्वारा जानते समझते हैं कि ईश्वर द्वारा बनाई हर चीज़ में महसूस करने की शक्ति होती है। पेड़ पौधे जीव जंतु इंसान सभी संवेदनशील होते है। इसी क्रम में आज एक प्रयोग के द्वारा अपने व्यवहार की परख करते हैं । अपने करीब दो पौधे रखते हैं और उनकी सेवा सुश्रुसा करते हुए बस अपनी भावनाओं में अंतर करते है। एक को बोझ समझ कर पानी दें , खाद डालें , उसकी सफ़ाई करे । जबकि दूसरे के साथ आत्मीयता से लगाव रखते हुए उससे बातें करें उसे पुचकारे और सेवा करें । यह क्रम कुछ समय के लिए जारी रखें ...फिर स्वयं बदलाव देखें।
मेरे घर कुछ गमले रखें हुए है। उनमें फूल नहीं आ रहे और साथ ही वह खिल कर पनपते हुए नहीं दिख रहे थे। मैनें यही किया । रोज उनके पास बैठ कर उन्हें I love you बोलना शुरू किया। मुझे उनके साथ रहना अच्छा लगता है , ये उनको अहसास दिलाना शरू किया। उनकी जरूरतों का ख़याल बोझ समझ कर नहीं प्यार से रखना शुरू किया । परिणाम सामने दिखा। फूल खिलने लगे ,पेड़ हरे भरे घने दिखने लगे , उनमें जान सी दिखने लगी। ये मेरे व्यवहार के कारण ही फ़र्क़ आया ये मैनें महसूस किया। ये हमारे व्यवहार की सोच का परिणाम है। इसी तरह पालतू जानवर भी हमारे लगाव और दुत्कार को महसूस करते हैं। यह प्रक्रिया हमें दूसरों से जोड़ने और तोड़ने का कार्य करती है।
अब यही हम आपसी रिश्तों और लोगों के बीच रख कर सोचें। भले ही हम किसी से कितना भी जुड़े हों मिलते जुलते रहते हों पर यदि हम उनके बारे में अच्छे विचार नहीं रखते तो ये सोच का असर उन तक जरूर पहुँचेगा । और एक ना एक दिन वह रिश्ता ख़त्म हो जाएगा। ये इस लिए होगा क्योंकि हमारा जुड़ाव मन से नहीं सिर्फ तन से है। यही सोच धीरे धीरे उन्हें हमसे दूर करने लगती है। प्यार और लगाव तो पाला हुआ कुत्ता भी महसूस कर लेता है ये उसकी हिलती हुई पूंछ बता देती है। फ़िर इंसान के अंदर तो सोच और व्यवहार परखने की ताक़त सबसे ज्यादा है। इस लिए अगर रिश्ता खराब हो तो अपनी सोच का भी आँकलन किया जाए ना कि सिर्फ़ दूसरों को रिश्ता ना निभा पाने का उलाहना दिया जाए। यही सच है जो हमें समझ कर अपने इर्द गिर्द माहौल बनाना होगा। सब फले फूलेगा ।
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