मत कह तू काबिल है ...🌷
मत कह तू काबिल है ....! !
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कब गलतियों से हो पाया जुदा,
गलतियों के पुतले है हम सब
तू समझता रहा खुद को ख़ुदा।
मत कह तू काबिल है ...
क्या समझ पाया उसकी अदा ,
उसके हाथ जिंदगियों की डोर है
वही संभालता है हमें सदा।
मत कह तू काबिल है ...
याद रख ऊपर वाले का ओहदा,
खुद को आंकेगा जब उस से ऊपर
तो कई बार होगा बेपरदा।
मत कह तू काबिल है ...
जिंदगी के उसूलों का है एक कायदा ,
हाथों की लकीरों में लिखी किस्मत
फ़िर क्यों तू अलापे राग अलहदा।
मत कह तू काबिल है ...
ताक़त और शौहरत नहीं रहती सदा,
वही हाथ थाम पार लगाता है
जब भी आये जीवन पर विपदा।
मत कह तू काबिल है ...
उसके रहम पर निर्भर है सर्वदा,
उसकी नेमत में रहेगा तो फलेगा
दिन दूना रात चौगुना होगा फायदा।
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