इमोशनल ट्रिगर
इमोशनल ट्रिगर : ~~~~~~~~~~~~
व्यवहार में अप्रत्याशित और विस्फोटक परिणाम इमोशनल ट्रिगर कहलाता है। जब हम परिस्थितियों से हार कर उसकी प्रतिक्रिया में अपना सामान्य व्यवहार बदल कर उग्र रूप में आ जाएं ये इमोशनल ट्रिगर है। जिसमें डर गुस्सा और उदासी जैसी भी भावनाएं शामिल होती है।
ये ट्रिगर किसी स्थिति शब्द या घटना से जुड़े रहते हैं । अमूमन इसमें कोई भी अपने सामान्य व्यवहार पर नियंत्रण खो देता है। मस्तिष्क का एक हिस्सा होता है जो पुरानी घटनाओं से जुड़ी भावनाओं को नियंत्रित करता है। जब भी कोई पुरानी बात आज को प्रभावित करने लगती है। मस्तिष्क का वह हिस्सा भावनात्मक तीव्रता को कंट्रोल करने की कोशिश करता है। लेकिन वही हिस्सा उत्तेजना भी बढ़ाता है जिसके परिणामस्वरूप कोई भी कुछ भी रिएक्ट करने को बाध्य हो जाता है।
इन ट्रीगर को पहचानने के लिए टीवी की तरह सोचें। जैसे पर्टिकुलर कोई चैनल लग गया हो। जो पुराने दर्द या किसी दुखद बात को पुनः याद दिला दी रहा हो। इसलिए जब कोई बात अत्यधिक परेशान कर रही हो, तो उस क्षण को रिवाइंड करें। नोट करें , क्या हुआ...कब हुआ...कैसे हुआ...क्यों हुआ, वगैरह । ये सब लिखें जिससे वो पैटर्न पता चलेगा जिससे इमोशनल ट्रिगर की स्थिति पैदा हुई।
इसके लिए एक ग्राउंड तकनीक कारगर है। 5-4-3-2-1......
5.अर्थात वर्तमान की कोई चीज़ चुनें
4.उस चीज़ को छूएं, उसके स्पर्श को महसूस करें।
3.उस चीज़ के आसपास की आवाज़ें सुनें
2.आसपास की गंध पहचानने। साथ ही उस चीज़ की भी गन्ध को महसूस करने की कोशिश करें।
1.वह चीज़ जो भी हो उससे जुड़ें उसका स्वाद लेने की कोशिश करें।
इससे काफी हद तक उन पुरानी यादों से बाहर आ सकेंगे जो इमोशनल ट्रिगर के रूप में परेशान कर रही।
व्यवहार में अपने आप होने वाले रिएक्शन अक्सर बुरी घटनाओं के लिए ज्यादा होते हैं।ऐसे में कोई एक सकारात्मक कदम प्रतिक्रिया बदल सकता है।जब भी कोई ऐसा इमोशनल ट्रिगर महसूस होए। टहलने निकला जा सकता है। संगीत सुना जा सकता है। कुछ अच्छा खाया जा सकता है। क्योंकि उस स्थिति को संभालने की जिम्मेदारी भी हमारी ही होती है।
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