गलती में साथ क्यों ? ? ?

 


गलती में साथ क्यों.....? ? ?  ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

मां बाप होने का मतलब तो यही होता है कि हर समय हर परिस्थिति में अपने बच्चे के साथ खड़े रहो। उसका सहारा बन कर...पर सवाल ये महत्वपूर्ण है कि अगर बच्चा कुछ गलत कर रहा हो तब साथ क्यों दिया जाए...? ? क्योंकि ये तो उसकी भीषण गलतियों को छुपाने और उसे भविष्य में अधिक गलतियां करने को उकसाने जैसा कृत्य हुआ..... 

8 साल की मासूम से वहशियत और फिर उसकी हत्या ये कोई साथ देने वाला कृत्य तो है नहीं.... आरोपी कमलेश नाम का एक 18-18 साल का लड़का है। जो घर में शाम को अपने मोबाइल पर पोर्न फिल्म देख रहा था। तभी उसे मोहल्ले की एक 8 वर्षीय बच्ची घर के सामने से जाती हुई दिखी। टॉफी देने के बहाने उसे घर बुलाया। और दुष्कर्म करने की कोशिश करने लगा। बच्ची चिल्लाने लगी तो मुहं में कपड़ा ठूंस दिया। बच्ची मचलती रही उसने दुष्कर्म कर लिया। फिर जैसे ही मुहं का कपड़ा हटाने की कोशिश की बच्ची पुनः चीखने लगी। तो उसका गला दबा कर हत्या कर दी। और अपनी हवस मिटाने के लिए मृत शरीर के साथ पुनः दुष्कर्म किया। फ़िर बाथरूम में ले जाकर पत्थर और छुरी से उसके शरीर के 10 टुकड़े करके हाथ पैर धड़ अलग किया।  अलग अलग थैलियों में अंग डालकर छिपा दिए और आधी रात को वो शव के टुकड़ों की थैलियां दूर जाकर खंडहर नुमा बाड़े में फेंक दिए। 

अब इस घटना में जो माता पिता की भूमिका है वह सबसे घृणित है। हत्यारा जब शव छुपा रहा था तब मां घर की और पिता उस बाड़े की निगरानी कर रहा था। ताकि कोई दूसरा इस घटना को ना देखे। बस यही बात असहनीय हो जाती है कि कोई मां बाप इस कदर पुत्र प्रेम में अन्धे कैसे हो सकते हैं कि इतने जघन्य कृत्य में भी पुत्र की ढाल बने रहे। जबकि उन्हें इस का विरोध करके उसे गलत किये जाने का आभास दिलाना चाहिए। 

मैनें पहले भी इस संदर्भ में कई बार लिखा है कि मोबाइल नई पीढ़ी के लिए श्राप साबित हो रहा है। जिससे कुछ अच्छा तो बहुत कम हो रहा है। बशर्ते सब विभत्स सामने आ रहा। आपसी प्रेम, शारीरिक स्वास्थ्य , रचनात्मकता और खुद के लिए जीने की आदत खत्म होती जा रही है। और कितना विकास चाहते हैं हम लोग और किस कीमत पर...कि हमारी ही पीढ़ियों के जीवन और भविष्य असुरक्षित हो जाये...

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