लचीलापन टूटने से बचाता है

लचीलापन टूटने से बचाता है :   ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ 

ये कहावत तो सबने सुनी ही होगी कि पेड़ की जो डाली लचीली होती है वह आंधी में टूटती नहीं। अर्थात लचीलापन विपरीत स्थितियां सहने में मदद करता है। जिससे जीवन बरकरार रखना आसान हो जाता है।

लचीलेपन की यह व्याख्या मानव जीवन पर भी उसी अनुसार लागू होती है। लचीलापन मुश्किल हालातों में भी संयम बनाये रख ख़ुश रहने की काबिलियत दिलाता है। कठिनाइयों से हताश होकर कोई गलत निर्णय लेने की स्थिति कठोरता से आती है क्योंकि बदलाव स्वीकार करने की नीयत नहीं होती। इसलिए flexible होना एक अच्छी आदत है। लचीलेपन के लिए व्यवहार में क्या क्या आदतें डालनी होगी सबसे पहले बिंदुवार ये समझते हैं ......

1. सबसे पहले तो हर बात में मैं मैं करने की आदत छोड़नी होगी। क्योंकि अहम लचीलेपन को खत्म कर देता है। 

2.सबके साथ मिलकर रहने वाला व्यक्ति लचीला हो जाता है क्योंकि उसे दूसरों के मन की भी सुननी पड़ती है।

3.स्थिति अनुसार खुद को ढालने की प्रकृति होनी चाहिए। चाहे वह सामाजिक स्थिति हो या प्राकृतिक। 

4.जिद की आदत बदलनी होगी। हर वक्त हमारी ही चलेगी ये कत्तई ठीक नहीं। क्योंकि सामने वाला भी शायद यही चाहता होगा। तो विवाद बढ़ने की संभावना ज्यादा होगी।

5. खुशी का पैमाना बदलना आना चाहिए। कहतें हैं ना कि.......जब मन की होए तो उत्तम पर जब मन की ना होए तो सर्वोत्तम। क्योंकि तब वह ईश्वर के मन की होती है। और जो ईश्वर के मन से होता है वह कभी भी गलत या बुरा नहीं हो सकता। 

6. लचीलापन ऐसा हो जिसे खुशी खुशी स्वीकारा जा सके। ना कि बाध्य होकर। अगर बाध्यता से स्वीकार किया तो मन उसी में उलझा रहेगा। 

7.Resilience अर्थात लचीलापन के मुख्य गुण हैं ....आत्मविश्वास, दूसरों को माफ करने की प्रवृत्ति, सामाजिक भागीदारी, उद्देश्यपूर्णता आदि होते हैं। जिन्हें व्यवहार में शामिल करके खुद को टूटने से बचाया जा सकता है। 

अब कुछ बिंदुओं से ये समझते हैं कि लचीलापन अपनाने से क्या क्या लाभ हैं....

1. सबसे पहले तो आप एक उत्कृष्ट सामाजिक व्यक्ति के रूप में जाने जाएंगे। जो सभी परिस्थितियों में एडजस्ट कर लेता है।

2. खुद को भी यदा कदा पीड़ा से बचने को मिलेगा। क्योंकि कड़ापन हमेशा तकलीफ़ देता है। 

3.लोग आप से जुड़ना चाहेंगे। क्योंकि वह ये महसूस करेंगे कि आप उनकी इच्छाओं और खुशियों का भी बराबर ध्यान रखते हैं।

4.लचीलेपन से उत्साह और भावनाओं की निरंतरता बनी रहेगी। बोझिल नहीं महसूस करेंगे। 

5.अचानक से आई कोई विपरीत स्थिति खुद को डगमगाएगी नहीं। क्योंकि टूटना ज्यादा बुरा है बजाए की झुकना। 

6.शरीर और मन दोनों ही अगर लचीले रखने चाहिए। क्योंकि stiffness तो सिर्फ़ तने रहने की सीख देती है। जबकि लचीलापन झुक कर कुछ बेहतर पाने के लिए प्रेरित करती हैं।

इसलिए स्वभाव में लचीलापन अपनाया जाना ही चाहिए। जिंदगी आसान हो जाती है।

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