सफल लीडरशिप के गुण

 सफल लीडरशिप के गुण :       ~~~~~~~~~~~~~~~~~~

यूँ आम बन कर बहुत लोग जीते हैं पर जिनका जज्बा मजबूत होता है और जो परिस्थितियों से लड़ कर जितने की दृढ़ इच्छा रखते हैं वही सफल लीडर के रूप में साबित होते हैं। क्योंकि किसी को आइडियल बना कर उसके अनुसार तो जिया जा सकता है पर उस जीने में भी अपने व्यक्तित्व की छाप होनी चाहिए। जिससे कल अलग व्यक्तित्व के साथ हम भी किसी अन्य के आइडियल बन सके। कहने का तातपर्य ये है कि लीडर होने के लिए अपने व्यक्तित्व की खासियत को अतिरिक्त हुनर से जोड़ना पड़ता है। तब एक परिष्कृत मॉडल बनना सफल हो पाता है। 

कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं द्वारा लीडरशिप के गुणों को समझते हैं .....

1.मन को स्थिर रखने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जाए -  जब मन स्थिर होगा तो विचार परिपक्व होंगे। उथले और चंचल मन में  विचारों की गहनता नहीं हो सकती। इसलिए मन को शांत स्थिर रखना अति आवश्यक है। 

2. नियमित रूप से हर दिन अभ्यास किया जाए - अब हम रोज जिमिंग करेंगे ये ख्याल खुशी दे सकता है। पर उसका शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उसके लिए रोज जिम जाना जरूरी है। तभी मांसपेशियों में कसाव आएगा। इसी तरह जिस विधा में पारंगत होना है उसका सतत अभ्यास बहुत जरूरी है। ये दोहा इस बात का  सटीक उदाहरण है कि ..."करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात ते सिल परपरत निशान" 

अर्थात practice makes man perfect. 

3. मौन के लिए अधिक समय निकालें - शांत मन और दिमाग creativity का सागर होता है।  जितना चुप रहेंगे सोच उतनी मजबूत होगी। निरंतर बातें करने और सुनने से मन और मस्तिष्क उसी में उलझा रहेगा। इसलिए मौन खुद को मजबूत करने और रखने का एक बेहतरीन माध्यम है।

4.समस्याओं पर अनुभवों को लागू कर परिणामों की जांच परख -  जो भी परिस्थिति सामने है उसे अपने अनुभवों से परखने की कोशिश की जाए। क्योंकि कोई भी परिस्थिति हर किसी के अनुभव के आधार पर एक अगर  परिणाम साबित होती है। इसलिए अपने अनुभव के आधार पर उस परिस्थिति को सफल परिणाम बनाने के लिए प्रयासरत होना चाहिए। 

5. धैर्य और योग से स्थितियों पर नियंत्रण - श्वास प्रक्रिया जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पर यही हमारे व्यवहार को भी नियंत्रित कर सकती है। गुस्सा , द्वेष, पीड़ा, खुशी , उत्साह ये सब श्वसन से संभाला जा सकता है। अत्यधिक प्रतिक्रिया भी स्थिति को बिगाड़ देती है। इसलिए अगर कोई मीटिंग हो या कोई सार्वजनिक प्रस्तुति तो श्वसन प्रक्रिया से खुद को शांत और धर्यपूर्ण रखा जा सकता है। 

6. चीजों को निष्पक्ष रूप से देखना : ,जब भी हम किसी बात परिस्थिति या मुद्दें को अपने या किसी दुसरे के नज़रिए से देखेंगे तो पक्षपात हो जाएगा। इसलिए सफल लीडर होने के लिए सबसे पहले हर चीज़ को निष्पक्ष रूप से देखना चाहिए। जिससे परिणाम किसी एक के पक्ष में ना होकर  सार्वभौमिक होए। 

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