मिडिल क्लास …………!

लुट गए ,लुट गए , लुट गए रे ,
हम तो तेरे प्यार में। 
बीच भँवर में फंस कर नईया ,
डूब गयी मझदार में । 
मिडिल क्लास होने का नतीजा ,
भोगा इस संसार में। 
अपना ख्याल खुद ही रखो तुम 
कहा है ये सरकार ने। 
टैक्स के बोझ दबे ये खर्चे ,
हमें दिए उपहार में। 
नोट को भूलो , चिल्लर डालो ,
अब गुल्लक के जार में। 
बचत कहाँ से कर पाओगे ,
खर्चों के भरमार में। 
महगाईं के बीच भटकते 
खुशियों की दरकार में।  
देख सको तो देखो बिकती ,
खुशियां तुम बाजार में , 
पर लाओगे कहाँ से सामर्थ्य ,
देने को सब परिवार में। 
तरस तरस कर ,जोड़ तोड़ कर 
मजबूरी के इस भार में , 
मिडिल क्लास की यही खासियत ,
मशहूर है इस संसार में। 
 

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