हालातों से संघर्ष और बदलाव का प्रयास ...😊
हालातों से संघर्ष और बदलाव का प्रयास ……....... !
क्या ऐसी चीज है जो व्यक्ति के बस से बाहर है और जिस पर चाह कर भी अपना नियंत्रण नहीं पाया जा सकता ? वह है हालात। कुछ हद तक हालात अपनी इच्छा से न तो बदले जा सकते हैं न ही उन हालातों से जुड़े संघर्ष को टाला जा सकता है। आप के चारों ओर क्या चल रहा है ये सब कुछ जानते रहना संभव नहीं है लेकिन थोड़ी देर के लिए खुद को बाकि दुनिया से अलग कर के एक अंतराल पैदा किया जा सकता है। ये अंतराल आप को burnout से बचाने का कार्य करेगा। इस अंतराल में अपनी भावनाओं और इच्छाओं को नए सिरे से refresh होने के लिए छोड़ा जा सकता है। एक समय आने पर ये महसूस होने लगेगा कि हालात निराशाजनक नहीं है बल्कि हम खुद ही उन हालातों के प्रति निराश बन कर बैठे हैं। क्योंकि हमें सबसे ज्यादा चिंता अपनी इच्छाओं की होती हैं और हम इस प्रयास में लगे रहते हैं कि परिस्थितियां भी वैसे ही बनी रहें जिस में इच्छापूर्ति के लिए बेहतर हालात हों।
हम ये भूल जाते हैं कि इस जहाँ में संपूर्ण कुछ भी नहीं होता। हर अंत एक नयी शुरुआत साथ ले कर आता है। कुछ इच्छाएं जन्म के साथ ही अधूरी पैदा होती हैं। हम कुछ हद तक ये मानते भी है कि इन्हे पूरा करने के लिए या तो गलत track पर जाना होगा या एक लम्बा इन्तजार करना होगा। फिर भी हम उसे पूरा करने में अपनी सारी ताकत और समय झोंक देते हैं। किसी भी बड़े लक्ष्य के रास्ते मुश्किल ही होतें हैं। फिर संघर्ष को पीछे हटने का कारण मत बनाइये। क्योंकि ये तो आप का मन भी जनता है कि आसान सा दिखने वाला रास्ता या तो लक्ष्य से भटका सकता है या जीवन की दिशा ही बदल सकता है। जिस दिन परिस्थितियों को उन्ही के मूल स्वरुप में स्वीकार करने का मन बना लिया जाएगा उसी दिन से आप को अपनी चिंताएं कम होती नजर आने लगेंगी। क्योंकि ये चिंता भी कुछ ऐसे नए हालात पैदा करती हैं जो आप के खुद के बनाये हुए हैं। सब से पहले अपने अंदर जिन बदलाव की पहल करनी है वह है अपने ego , frustration , attitude , anger और adjustment capability को सुधारना है। जिस दिन ये सब बेहतर हो गया उस दिन खुद से ये लगेगा कि हालात अच्छे हैं। और फिर अगर परिस्थितवश कुछ अप्रिय घटित होता भी है तो उसे भुला कर आगे को बेहतर बनाना ही हालात सुधारना कहलायेगा। ये खुद हमारे ही हाथ में हैं कि हम अपने हालातों को किस दिशा में ले जा रहें हैं। इस लिए प्रयास कीजिये और मुश्किल हालातों को भी अपने favor में कीजिये।
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क्या ऐसी चीज है जो व्यक्ति के बस से बाहर है और जिस पर चाह कर भी अपना नियंत्रण नहीं पाया जा सकता ? वह है हालात। कुछ हद तक हालात अपनी इच्छा से न तो बदले जा सकते हैं न ही उन हालातों से जुड़े संघर्ष को टाला जा सकता है। आप के चारों ओर क्या चल रहा है ये सब कुछ जानते रहना संभव नहीं है लेकिन थोड़ी देर के लिए खुद को बाकि दुनिया से अलग कर के एक अंतराल पैदा किया जा सकता है। ये अंतराल आप को burnout से बचाने का कार्य करेगा। इस अंतराल में अपनी भावनाओं और इच्छाओं को नए सिरे से refresh होने के लिए छोड़ा जा सकता है। एक समय आने पर ये महसूस होने लगेगा कि हालात निराशाजनक नहीं है बल्कि हम खुद ही उन हालातों के प्रति निराश बन कर बैठे हैं। क्योंकि हमें सबसे ज्यादा चिंता अपनी इच्छाओं की होती हैं और हम इस प्रयास में लगे रहते हैं कि परिस्थितियां भी वैसे ही बनी रहें जिस में इच्छापूर्ति के लिए बेहतर हालात हों।
हम ये भूल जाते हैं कि इस जहाँ में संपूर्ण कुछ भी नहीं होता। हर अंत एक नयी शुरुआत साथ ले कर आता है। कुछ इच्छाएं जन्म के साथ ही अधूरी पैदा होती हैं। हम कुछ हद तक ये मानते भी है कि इन्हे पूरा करने के लिए या तो गलत track पर जाना होगा या एक लम्बा इन्तजार करना होगा। फिर भी हम उसे पूरा करने में अपनी सारी ताकत और समय झोंक देते हैं। किसी भी बड़े लक्ष्य के रास्ते मुश्किल ही होतें हैं। फिर संघर्ष को पीछे हटने का कारण मत बनाइये। क्योंकि ये तो आप का मन भी जनता है कि आसान सा दिखने वाला रास्ता या तो लक्ष्य से भटका सकता है या जीवन की दिशा ही बदल सकता है। जिस दिन परिस्थितियों को उन्ही के मूल स्वरुप में स्वीकार करने का मन बना लिया जाएगा उसी दिन से आप को अपनी चिंताएं कम होती नजर आने लगेंगी। क्योंकि ये चिंता भी कुछ ऐसे नए हालात पैदा करती हैं जो आप के खुद के बनाये हुए हैं। सब से पहले अपने अंदर जिन बदलाव की पहल करनी है वह है अपने ego , frustration , attitude , anger और adjustment capability को सुधारना है। जिस दिन ये सब बेहतर हो गया उस दिन खुद से ये लगेगा कि हालात अच्छे हैं। और फिर अगर परिस्थितवश कुछ अप्रिय घटित होता भी है तो उसे भुला कर आगे को बेहतर बनाना ही हालात सुधारना कहलायेगा। ये खुद हमारे ही हाथ में हैं कि हम अपने हालातों को किस दिशा में ले जा रहें हैं। इस लिए प्रयास कीजिये और मुश्किल हालातों को भी अपने favor में कीजिये।
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