आत्मविश्वास की हार ....😏
आत्मविश्वास की हार ………!
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लगातार अपने पिछले सभी मैच जीतते हुए आज भारत सेमी फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गया। हार की वजह का विश्लेषण करने पर ये पाएंगे कि हार की वजह खिलाड़िओं का न चल पाना नहीं था। बल्कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़िओं का गजब का आत्मविश्वास था। आप किसी भी मैदान में जब भी उतरते हो जीत सुनिश्चित करता है आप का आत्मविश्वास। भारत के बैटिंग करते ही ये लगने लगा था कि कही न कही सभी भारतीय खिलाडी कंगारूओं के आत्मविश्वास के आगे दब रहे थे। पूरा मैच देखने वाला हर बन्दा ये जनता होगा की ऑस्ट्रेलियाई पारी के समय उन खिलाड़िओं का जबरदस्त प्रदर्शन उनके जूनून और आत्मविश्वास को दिखा रहा था। तभी 328 जैसा बड़ा स्कोर चार्ट खड़ा कर दिया। जीत या हार मन की भावना पर निर्भर करती है। खिलाडियों का खेलने का तरीका ये दर्शा देता है कि वह किस भावना का प्रदर्शन कर रहें हैं। तभी शुरूआती दौर में विराट जैसा दिग्गज खिलाडी बिना कोई अच्छा मुकाम बनाये आउट हो जाता है। जबकि उनको भी आज सभी भारतियों की अपेक्षाओं की जानकारी थी। खैर हार जीत खेल का हिस्सा होती है। बुरा ये होता है कि कोई बिना लड़े ही हार मान ले। जैसा की आज के खेल में खिलाडी अपने रवैये से दर्शा रहे थे। ऑस्ट्रेलियाई टीम अपनी पूरी ताकत के साथ जीतने के जज्बे साथ मैदान में उतरती है यही असल में जीत है। इस लिए जरूरी है कि सब से पहले अपने मन को जीतने के लिए मजबूर किया जाए। कहते है न कि डर के आगे जीत है। आज ये जुमला सही साबित हो गया। सब एक एक कर के डर गए और हार गए। कोई भी भारतीय खिलाड़ी 100 का स्कोर के आस पास भी नहीं पहुँच सका जबकि ऑस्ट्रेलियाई पारी में दो खिलाडी 100 बना पाये या करीब पहुँच गए। क्योंकि उन्हें पता था कि उन्हें जीत हांसिल करनी है। खैर चलिए……………… होहिंये वही जो राम रची राखा , को करी तर्क बढ़ावे साखा। अर्थात होगा वही जो प्रभु श्री राम चाहेंगे इस लिए बिना वजह के तर्क से कोई फायदा नहीं। सच्चाई को स्वीकार करने में ही समझदारी है।
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लगातार अपने पिछले सभी मैच जीतते हुए आज भारत सेमी फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गया। हार की वजह का विश्लेषण करने पर ये पाएंगे कि हार की वजह खिलाड़िओं का न चल पाना नहीं था। बल्कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़िओं का गजब का आत्मविश्वास था। आप किसी भी मैदान में जब भी उतरते हो जीत सुनिश्चित करता है आप का आत्मविश्वास। भारत के बैटिंग करते ही ये लगने लगा था कि कही न कही सभी भारतीय खिलाडी कंगारूओं के आत्मविश्वास के आगे दब रहे थे। पूरा मैच देखने वाला हर बन्दा ये जनता होगा की ऑस्ट्रेलियाई पारी के समय उन खिलाड़िओं का जबरदस्त प्रदर्शन उनके जूनून और आत्मविश्वास को दिखा रहा था। तभी 328 जैसा बड़ा स्कोर चार्ट खड़ा कर दिया। जीत या हार मन की भावना पर निर्भर करती है। खिलाडियों का खेलने का तरीका ये दर्शा देता है कि वह किस भावना का प्रदर्शन कर रहें हैं। तभी शुरूआती दौर में विराट जैसा दिग्गज खिलाडी बिना कोई अच्छा मुकाम बनाये आउट हो जाता है। जबकि उनको भी आज सभी भारतियों की अपेक्षाओं की जानकारी थी। खैर हार जीत खेल का हिस्सा होती है। बुरा ये होता है कि कोई बिना लड़े ही हार मान ले। जैसा की आज के खेल में खिलाडी अपने रवैये से दर्शा रहे थे। ऑस्ट्रेलियाई टीम अपनी पूरी ताकत के साथ जीतने के जज्बे साथ मैदान में उतरती है यही असल में जीत है। इस लिए जरूरी है कि सब से पहले अपने मन को जीतने के लिए मजबूर किया जाए। कहते है न कि डर के आगे जीत है। आज ये जुमला सही साबित हो गया। सब एक एक कर के डर गए और हार गए। कोई भी भारतीय खिलाड़ी 100 का स्कोर के आस पास भी नहीं पहुँच सका जबकि ऑस्ट्रेलियाई पारी में दो खिलाडी 100 बना पाये या करीब पहुँच गए। क्योंकि उन्हें पता था कि उन्हें जीत हांसिल करनी है। खैर चलिए……………… होहिंये वही जो राम रची राखा , को करी तर्क बढ़ावे साखा। अर्थात होगा वही जो प्रभु श्री राम चाहेंगे इस लिए बिना वजह के तर्क से कोई फायदा नहीं। सच्चाई को स्वीकार करने में ही समझदारी है।
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