सभी को पावनपर्व होली की ढेरों शुभकामनाएं।              होली रंगों का त्यौहार है और रंगों को प्रतीक मान कर हम मेल मिलाप का माहौल बनाने का प्रयास करते हैं। हालांकि हमारे भारतीय समाज में त्योहारों को खान पान से भी जोड़ा जाता है। गुंजियां ,मठरी , शक्करपारे ,गुलाबजामुन ,दही वड़े ,आदि न जाने कितने ही व्यंजन होली की शान के रूप में बनाये और खाए जाते हैं। अब वह पहले जैसी होली का आयोजन नहीं होता।  पहले  कोई एक शुरुआत कर के किसी एक के घर आता और फिर वहां से दो परिवार अगले के घर जाते।  फिर वहां से तीन और फिर इस तरह आखिरी परिवार के घर पर जब सब एकत्र होते तो वहां मीठा नहीं बल्कि गोलगप्पों की स्टाल लगती और हम सब टूट कर खाते और मस्ती करते। अंत में सभी एक दूसरें को गुलाल लगा कर विदा होते और ये आयोजन पूरा होता। मजा आता था पर अब ऐसा कुछ भी नहीं होता।  सब इतने ज्यादा व्यस्त है अपनी अपनी दिनचर्या में कि बस जो आ कर मिल जाए उसे गुलाल लगा दिया अन्यथा कही आना जाना तो होता नहीं। अपने घर तक सीमित हो जाने से त्यौहार का मजा लगभग ख़त्म सा हो गया है। ये सब एकाकीपन की निशानी है जो अब समाज का आईना बन चूका है। इसी वजह से अब त्यौहार भी फीके से लगते है। ............. 

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