प्रशंसा और प्रोत्साहन की हक़दार....😊
प्रशंसा और प्रोत्साहन की हक़दार..........!
आज का आलेख कल की ही विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए आम पत्नियों की मुश्किलें बयां करता है। सामान्यतः घर चलाने का जिम्मा पत्नियों का ही होता है और हर पत्नी भले ही इस में पति की सहयोग की मांग न करें। पर ये अपेक्षा तो जरूर रखती है कि उसके द्वारा किया जा रहे कार्यों की पति सराहना करें और उन्हें और बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करें। लेकिन होता इस का विपरीत है। पत्नी अपेक्षा से पति की ओर निहारती है और बदले में उसे एक सवेंदनहीन response मिल जाता है। ये हर पत्नी की समस्या है। पहली बात तो ये कि स्त्री जिस पुरुष से जुडी है और जिस के लिए वह सब कुछ करने को तैयार है उसी से तो प्रतिक्रिया की उम्मीद लगाएगी। किसी राह चलते को अपने कार्यों का लेख जोखा दिखा कर उनसे response या appreciation की उम्मीद तो नहीं कर सकती। फिर पति से तरफ से पाने का मतलब होता है कि उसे खुद पर गर्व करने का मौका मिलता है। ये गर्व उसके आगे के भी कार्यों को प्रभावित करता है। अपने दोस्तों , रिश्तेदारों और परिचितों के बीच गर्व से अपनी पत्नी के कार्यों की प्रशंसा से कोई भी पति छोटा नहीं हो जाता पर इस के side effect के रूप में उसे और बेहतर जीवन शैली मिलने लगती है। ये पतियों को अपने अहम और परिवार के सर्वेसर्वा होने के गर्व में नजर नहीं आता। बेचारी पत्नियां इसी आस में रोज अपनी जिंदगी का वही routine जिए जाती हैं कि कभी तो पति ये देखेंगे और सोचेंगे कि आज उनके घर की बेहतर स्थिति की जिम्मेदार उनकी पत्नी है और उसे भी तारीफ के दो बोल तो मिलने ही चाहिए।
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आज का आलेख कल की ही विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए आम पत्नियों की मुश्किलें बयां करता है। सामान्यतः घर चलाने का जिम्मा पत्नियों का ही होता है और हर पत्नी भले ही इस में पति की सहयोग की मांग न करें। पर ये अपेक्षा तो जरूर रखती है कि उसके द्वारा किया जा रहे कार्यों की पति सराहना करें और उन्हें और बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करें। लेकिन होता इस का विपरीत है। पत्नी अपेक्षा से पति की ओर निहारती है और बदले में उसे एक सवेंदनहीन response मिल जाता है। ये हर पत्नी की समस्या है। पहली बात तो ये कि स्त्री जिस पुरुष से जुडी है और जिस के लिए वह सब कुछ करने को तैयार है उसी से तो प्रतिक्रिया की उम्मीद लगाएगी। किसी राह चलते को अपने कार्यों का लेख जोखा दिखा कर उनसे response या appreciation की उम्मीद तो नहीं कर सकती। फिर पति से तरफ से पाने का मतलब होता है कि उसे खुद पर गर्व करने का मौका मिलता है। ये गर्व उसके आगे के भी कार्यों को प्रभावित करता है। अपने दोस्तों , रिश्तेदारों और परिचितों के बीच गर्व से अपनी पत्नी के कार्यों की प्रशंसा से कोई भी पति छोटा नहीं हो जाता पर इस के side effect के रूप में उसे और बेहतर जीवन शैली मिलने लगती है। ये पतियों को अपने अहम और परिवार के सर्वेसर्वा होने के गर्व में नजर नहीं आता। बेचारी पत्नियां इसी आस में रोज अपनी जिंदगी का वही routine जिए जाती हैं कि कभी तो पति ये देखेंगे और सोचेंगे कि आज उनके घर की बेहतर स्थिति की जिम्मेदार उनकी पत्नी है और उसे भी तारीफ के दो बोल तो मिलने ही चाहिए।
आज औरतें घर बाहर सभी संभालती हैं। मैं भी अपना घर के कार्य निपटाने के बाद प्लाट पर जा कर सारी जरूरतों और स्थिति को संभालती हूँ। आज मुझसे मेरी कोई सहेली कहती है कि मुझे भी गाड़ी चलाना सीखा दो। तो मेरा जवाब होता है कि तुम किस्मत वाली हो कि तुम्हे गाड़ी चलाना नहीं आता। अगर आ गया तो तुमसे उम्मीदें और भी ज्यादा बढ़ जाएंगी। अब घर के कार्यों के साथ बाहर के भी सभी कार्यों की जिम्मेदारी आप पर आ जायेगी। पति तो 9 से 5 ऑफिस में रहेंगे। सभी सरकारी,गैर सरकारी दफ्तरों का भी यही समय होता है। इस लिए अब तमाम बिल भरने , बच्चों के स्कूल से सम्बंधित मामले निपटाने , या मकान से जुड़े किसी भी नगर निगम या development authority के दस्तावेज के लिए भी मुझे ही भागना पड़ता है। ये एक कड़वा सत्य है। जिस का सामना रोज मैं करती हूँ। धूप हो ,गर्मी हो पर कार्य है तो बाहर निकलना ही पड़ेगा। हाँ , शाम के कार्यों के लिए पतिदेव हाजिर रहते हैं अगर कोई दोस्त मिलने न आये तो। अब मसला ये है कि परिवार के लिए भागना बुरा नहीं लगता बशर्ते तारीफ या प्रोत्साहन की dose समय समय पर मिलती रहे। उस से हौसला बना रहता है। यही सब पतियों से अपेक्षा है कि जो पुरे घर को अच्छे से manege कर रही है उसे बस अपनी तारीफों से खुश करते रहिये फिर चमत्कार आप को स्वयं दिख जायेगा।
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