वास्तविक परिचय ....……!

मैं हिम्मत हूँ ,मैं ताकत हूँ ,
अपनी रक्षा में सक्षम हूँ ।
अब नहीं द्रौपदी जैसी मैं ,
जो कृष्ण का रस्ता देखेगी।
मैं जीवंत हूँ , मैं समर्थ हूँ,
अपनी पवित्रता की कायल हूँ।
अब नहीं सीता के जैसी मैं ,
जो अग्नि परीक्षा से गुजरेगी। 
मैं साहसी , मैं अभीत हूँ ,
अपनी शूरता की परिभाष्य हूँ।
अब नहीं निर्भया के जैसी मैं ,
जो चंद निष्कंटकों से डरेगी।
मैं चतुर हूँ , मैं मनीषी  हूँ ,
अपनी प्रबुद्धता के लायक हूँ। 
अब नहीं निपढ़ अज्ञानी मैं ,
जो अपनी मूढ़ता पर हसेंगी।
मैं हीरा हूँ , मैं सोना हूँ ,
अपनी कीमत से परिचित हूँ। 
अब नहीं कोई समझे पीतल,
जो बिन मोल बिक जाउंगी।  
मैं जरिया हूँ ,मैं रस्ता हूँ ,
अपनी मंजिल पहचानती हूँ। 
अब नहीं विमूढ़ व्यक्तित्व मैं ,
जो राह भटक रह जाउंगी।   
मैं जीवन हूँ , मैं धड़कन हूँ ,
अपनी गति की पहचान हूँ। 
अब नहीं साँस जैसी हूँ मैं ,
जो डर से कब थम जाएगी।  

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