मेरे विचार ……
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मैं ईशान्या हूँ। मैं डी पी एस स्कूल में कक्षा तीन की छात्रा हूँ और आठ वर्ष की हूँ। आज अपनी माँ की जगह आप के लिए मै लेख लिख रही हूँ।आप सोच रहें होंगे क्यों ? इसका कारण है की आज जन्माष्टमी और टीचर डे है। हम जन्माष्टमी पर व्रत रखते है कृष्ण जी के लिये। हम कृष्ण जी का जन्मदिन रात को 12 बजे मनाते है और मंदिर में सजावट करते है और भजन होता है। हम गुब्बारे लगा कर उनका दिल जीत लेते है। हम रात में कृष्ण जी को मिश्री और माखन से भोग लगाते है और उनकी पूजा करते है। अब मै टीचर डे के बारे में बताने वाली हूँ हम टीचर डे डॉ ,सर्वपल्ली राधाकृष्णनन के जन्मदिन के रूप में मनाते है,वो हमारे भारत के राष्ट्रपति रहें हैं। हमें स्कूल में जाते ही अपनी टीचर को हैप्पी टीचर डे बोलते हैं और उन्हें टीचर डे का कार्ड देते हैं।
आप ये सोच रहें होंगे कि मैंने ये लिखना कहाँ से सीखा ? मेरा ऐसा मानना है कि कोई अगर कुछ सीखना चाहता हो और लगन से कोशिश करे तो वो जरूर सीख सकता है। मैंने भी मेरी मम्मा से लिखने का तरीका सीखा और आप के लिए ये छोटा सा लेख लिखा। उम्मीद है कि आप को अच्छा लगेगा। (उपयुक्त लेख पढ़ कर आप को अजीब सा लगा होगा पर ये सत्य है कि ये मेरी तीसरी कक्षा में पढ़ती हुई बेटी ने लिखा है। एक आठ वर्ष की बच्ची जो शायद अभी ठीक से मात्राओं का ज्ञान भी नहीं समझ पाती है उसने अपनी कोशिश से अपने भावों को प्रकट किया ,और मैं खुश हूँ कि वह इस प्रयास में खरी उतरी। छोटी बच्ची के मन में भावों का जो भी खाका बना उसने बखूबी उसे आपके साथ बांटने का प्रयास किया। आप से ये नम्र निवेदन है कि इसे आप ये सोच कर पढ़ें कि एक नाकाबिल बच्ची का काबिलियत की ओर बढ़ने का प्रयास है। )
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मैं ईशान्या हूँ। मैं डी पी एस स्कूल में कक्षा तीन की छात्रा हूँ और आठ वर्ष की हूँ। आज अपनी माँ की जगह आप के लिए मै लेख लिख रही हूँ।आप सोच रहें होंगे क्यों ? इसका कारण है की आज जन्माष्टमी और टीचर डे है। हम जन्माष्टमी पर व्रत रखते है कृष्ण जी के लिये। हम कृष्ण जी का जन्मदिन रात को 12 बजे मनाते है और मंदिर में सजावट करते है और भजन होता है। हम गुब्बारे लगा कर उनका दिल जीत लेते है। हम रात में कृष्ण जी को मिश्री और माखन से भोग लगाते है और उनकी पूजा करते है। अब मै टीचर डे के बारे में बताने वाली हूँ हम टीचर डे डॉ ,सर्वपल्ली राधाकृष्णनन के जन्मदिन के रूप में मनाते है,वो हमारे भारत के राष्ट्रपति रहें हैं। हमें स्कूल में जाते ही अपनी टीचर को हैप्पी टीचर डे बोलते हैं और उन्हें टीचर डे का कार्ड देते हैं।
आप ये सोच रहें होंगे कि मैंने ये लिखना कहाँ से सीखा ? मेरा ऐसा मानना है कि कोई अगर कुछ सीखना चाहता हो और लगन से कोशिश करे तो वो जरूर सीख सकता है। मैंने भी मेरी मम्मा से लिखने का तरीका सीखा और आप के लिए ये छोटा सा लेख लिखा। उम्मीद है कि आप को अच्छा लगेगा। (उपयुक्त लेख पढ़ कर आप को अजीब सा लगा होगा पर ये सत्य है कि ये मेरी तीसरी कक्षा में पढ़ती हुई बेटी ने लिखा है। एक आठ वर्ष की बच्ची जो शायद अभी ठीक से मात्राओं का ज्ञान भी नहीं समझ पाती है उसने अपनी कोशिश से अपने भावों को प्रकट किया ,और मैं खुश हूँ कि वह इस प्रयास में खरी उतरी। छोटी बच्ची के मन में भावों का जो भी खाका बना उसने बखूबी उसे आपके साथ बांटने का प्रयास किया। आप से ये नम्र निवेदन है कि इसे आप ये सोच कर पढ़ें कि एक नाकाबिल बच्ची का काबिलियत की ओर बढ़ने का प्रयास है। )
Happy to see that my little daughter make this nice effort.
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